ओडिशा : जनजातीय संगठन ने अपने सदस्यों पर दर्ज यूएपीए मामलों को वापस लेने की मांग की

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लेकिन इसके बाद एक ग्रामीण पर वर्ष 2018 की बलात्कार की घटना को लेकर मामला दर्ज किया गया और दूसरे को रिहा कर दिया गया।’’ आजाद ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बॉक्साइट खनन के खिलाफ स्थानीय लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।

ओडिशा के एक जनजातीय संगठन ने विरोध-प्रदर्शन को लेकर उसके सदस्यों के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज मामलों को तत्काल वापस लेने की मांग की है। यह संगठन राज्य के कालाहांडी और रायगढ़ा जिलों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नियमगिरि पहाड़ियों में बॉक्साइट खनन का विरोध एक दशक से अधिक समय से कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह मांग कथित तौर पर ‘वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई’ का विरोध करने के लिए नियमगिरि सुरक्षा समिति (एनएसएस) के नौ सदस्यों के खिलाफ सख्त गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 के तहत आरोप तय करने के बाद की गई है।

एक प्रेस वार्ता में एनएसएस नेता लिंगराज आजाद ने शनिवार को जनजातीय संगठन के नौ सदस्यों के खिलाफ यूएपीए के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने को लेकर राज्य सरकार और रायगढ़ा जिला पुलिस की आलोचना की। आजाद ने दावा किया कि पुरुषों और महिलाओं के एक समूह ने छह अगस्त को कल्याणसिंहपुर पुलिस थाने के सामने प्रदर्शन किया था, जिसमें दो ग्रामीणों का पता बताने को कहा गया था, जिन्हें कथित तौर पर पुलिसकर्मियों ने लांजीगढ़ हाट से उठाया था।

उन्होंने दावा किया, ‘‘शुरुआत में पुलिस ने दोनों का पता नहीं बताया। लेकिन इसके बाद एक ग्रामीण पर वर्ष 2018 की बलात्कार की घटना को लेकर मामला दर्ज किया गया और दूसरे को रिहा कर दिया गया।’’ आजाद ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बॉक्साइट खनन के खिलाफ स्थानीय लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।

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