फर्जी खबरों के प्रसार पर उपराष्ट्रपति ने कहा, शक्तियों के प्रयोग करने का समय

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उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया संगठनों और मीडिया पेशेवरों को किसी भी सूचना का प्रसार करने से पहले दोगुना सावधान और सतर्क रहना चाहिए। आज की जमीनी हकीकत वास्तव में चिंताजनक है। नुकसान होने के बहुत बाद जांच की जाती है।’’ उन्होंने कहा कि संपादकों की भूमिका अधिक चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि उन्हें गेटकीपर के रूप में कार्य करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले की कोई सूचना के ‘समुद्र में जहर घोले’ उनके लिए किसी भी छेड़छाड़ और झूठी जानकारी को हटाना अनिवार्य हो जाता है।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने जानबूझकर फर्जी खबरें प्रसारित करने वालों के खिलाफ भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) द्वारा त्वरित कार्रवाई की वकालत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह शक्तियों के प्रयोग करने का समय है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वसनीयता सबसे बड़ी चुनौती है जिसका आज मीडिया जगत सामना कर रहा है। धनखड़ ने यहां राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह मीडिया का नैतिक कर्तव्य है कि वह सच बताए और सच के अलावा कुछ नहीं। समारोह में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन और पीसीआई की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई भी उपस्थित थीं।

फर्जी और मनगढ़ंत खबरों पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे मीडिया में जनता का विश्वास कम हुआ है। उन्होंने कहा कि जानबूझकर फर्जी खबरें फैला रहे और पेशेवर नैतिकताओं से समझौता कर रहे लोगों के खिलाफ पीसीआई को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समय शक्तियों के प्रयोग करने का है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई मजबूती से करने की आवश्यता है क्योंकि उच्च नैतिकता से काम करने वाले लोगों को इस तरह से काम नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ मिसाल बनने वाली कार्रवाई करके प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, यह मीडिया से जुड़े हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। चाहे वह पत्रकार हों या समाचार पत्रों के मालिक या संचार के अन्य रूप...सत्यप्रिय रहें।’’

धनखड़ ने कहा कि विश्वसनीय और भरोसेमंद होना मीडिया के स्वयं के हित में है। उन्होंने महसूस किया कि अब समय आ गया है कि मीडिया यह समझे कि उनके दर्शक उनसे दूर जा रहे हैं। उन्होंने इसे ‘कठोर वास्तविकता, दीवार पर लिखी इबारत’ करार दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह बात संबंधित पक्षों के लिए स्पष्ट होनी चाहिए कि फर्जी खबरें, जानबूझकर उल्लेखित की गई गलत और शरारतपूर्ण सूचनाएं, राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और प्राथमिकताएं, सत्ता के दलाल की भूमिका निभाने की प्रवृत्ति और मौद्रिक विचारों ने मीडिया में लोगों के विश्वास को कम कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि ‘फेक न्यूज’ शब्द को कभी इतने जोरशोर से नहीं सुना गया है। उन्होंने कहा कि पहले ‘‘यह हमारे कानों में कभी नहीं गूंजता था जबकि इन दिनों यह तेजी से कानों में गूंज रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘‘विश्वसनीयता सबसे बड़ी चुनौती है जिसका आज मीडिया सामना कर रहा है। मैंने इसे मीडिया के अस्तित्व की चुनौती के रूप में रखता हूं। यह आश्चर्यजनक है कि कुछ तबकों में इस पहलू को नजरअंदाज किया जा रहा है।’’ धनखड़ ने कहा कि हाल की तकनीकी प्रगति और कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे नवाचारों ने समाज के सामने अद्वितीय चुनौतियां पेश की हैं। उन्होंने कहा कि सभी केलिए मीडिया परिदृश्य पर एआई के गहरे प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एआई के आगमन ने समाचार, सूचना और मनोरंजन प्राप्त करने और उपभोग करने के तरीके को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि एआई हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है और इसकी प्रौद्योगिकी हमारी प्रणाली को नियंत्रित कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया संगठनों और मीडिया पेशेवरों को किसी भी सूचना का प्रसार करने से पहले दोगुना सावधान और सतर्क रहना चाहिए। आज की जमीनी हकीकत वास्तव में चिंताजनक है। नुकसान होने के बहुत बाद जांच की जाती है।’’ उन्होंने कहा कि संपादकों की भूमिका अधिक चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि उन्हें गेटकीपर के रूप में कार्य करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले की कोई सूचना के ‘समुद्र में जहर घोले’ उनके लिए किसी भी छेड़छाड़ और झूठी जानकारी को हटाना अनिवार्य हो जाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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