विजय दिवस की पूर्व संध्या पर जनसंचार विभाग के प्रायोगिक पत्र ‘पहल’ के बांग्लादेश विशेषांक का लोकार्पण

Pahal journal launched by Mass Communication Dept
PR Image

बंगलादेश विजय दिवस की पूर्व संध्या पर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की प्रायोगिक पत्रिका 'पहल' के बांग्लादेश विशेषांक का लोकार्पण हुआ। कुलपति प्रो. विजय मनोहर तिवारी ने अध्ययनशीलता पर ज़ोर देते हुए कहा कि आतंकवाद अपने-पराए का भेद नहीं करता। उन्होंने पत्रकारिता को ज़िम्मेदार सामाजिक हस्तक्षेप के रूप में देखने का आह्वान किया। बीबीसी के पूर्व पत्रकार सलमान रावी ने रील और मीम की बाढ़ से जूझती पत्रकारिता में गहन शोध और विश्वसनीयता बनाए रखने पर बल दिया।

'बंगलादेश विजय दिवस' की पूर्व संध्या पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के प्रायोगिक पत्र ‘पहल’ के बांग्लादेश विशेषांक का लोकार्पण विश्वविद्यालय परिसर स्थित भारत रत्न लता मंगेश्कर सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में बीबीसी के पूर्व वरिष्ठ पत्रकार सलमान रावी, बंगाली एसोसिएशन कालीबाड़ी के महासचिव सलिल चटर्जी तथा विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजय मनोहर तिवारी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया।

इस अवसर पर कुलगुरु प्रो. तिवारी ने अध्ययनशीलता, प्रयोगधर्मिता और समसामयिक विषयों की गहन पड़ताल पर बल देते हुए कहा कि बांग्लादेश के संदर्भ में यह स्पष्ट होता है कि जब अन्य विकल्प समाप्त हो जाते हैं, तब आतंकवाद अपनों को भी नहीं छोड़ता। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे पत्रकारिता को केवल सूचना नहीं, बल्कि जिम्मेदार सामाजिक हस्तक्षेप के रूप में देखें।

इसे भी पढ़ें: भाजपा की यह पुरानी आदत..., अखिलेश यादव ने MGNREGA के नाम बदलने को लेकर कसा तंज

बीबीसी के पूर्व विशेषज्ञ संवाददाता सलमान रावी ने कहा कि आज की पत्रकारिता का सबसे बड़ा संघर्ष रील, मीम और सरोकार-विहीन कंटेंट की बाढ़ से है। उन्होंने कहा कि ऐसे दौर में पत्रकारिता के विद्यार्थियों को शोध, मुद्दों की गहरी समझ और संदर्भ के साथ प्रस्तुति की क्षमता विकसित करनी होगी, तभी वे विश्वसनीयता और प्रभाव दोनों बनाए रख सकेंगे।

बंगाली एसोसिएशन कालीबाड़ी के महासचिव सलिल चटर्जी ने बांग्लादेश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के समय की सकारात्मक सोच किस प्रकार धीरे-धीरे कट्टरता की ओर बढ़ती गई। उन्होंने बांग्लादेश में बंगाली समुदाय के साथ हो रहे अन्याय और उनकी घटती जनसंख्या पर भी चिंता व्यक्त की। पहल के इस विशेषांक की सराहना करते हुए उन्होंने नवोदित पत्रकारों से कहा कि उनकी लेखनी में सवाल पूछने का साहस और पीड़ितों के दुःख को अभिव्यक्त करने की संवेदनशीलता दोनों का संतुलन होना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: Sansad Diary: PM Modi को अपशब्द कहने पर संसद में हंगामा, नड्डा ने कांग्रेस पर उठाए सवाल

कार्यक्रम में पहल की प्रकाशन प्रक्रिया से जुड़े विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, कुलसचिव डॉ.पी.शशिकला एवं प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन महक पवानी और मानसी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन पहल की संपादकीय टीम के समन्वयक शांतनु सिंह ने प्रस्तुत किया।

All the updates here:

अन्य न्यूज़