माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन

Makhanlal Chaturvedi National Journalism University
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कार्यक्रम के दौरान यह रेखांकित किया गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय ज्ञान प्रणाली को शिक्षा के सभी स्तरों पर समाहित करने की अनुशंसा की है। ज्ञान (ज्ञान), प्रज्ञा (बुद्धिमत्ता) और सत्य (सत्य की खोज) को सर्वोच्च मानव लक्ष्य मानने वाली भारतीय परंपरा आज भी शिक्षा और शोध के लिए मार्गदर्शक है।

भोपाल। "शोध आयाम" (मध्य भारत प्रांत, प्रज्ञा प्रवाह) के तत्वावधान में एक विशेष संगोष्ठी“ कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान प्रणाली की प्रासंगिकता” का आयोजन किया गया, जिसमें देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के कंप्यूटर विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की वरिष्ठ संकाय एवं दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र की पूर्व निदेशक डॉ. माया इंगले ने उक्त विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।

डॉ. माया इंगले ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा केवल अध्यात्म या दर्शन तक सीमित नहीं रही, बल्कि गणित, भाषाविज्ञान, तर्कशास्त्र, चिकित्सा विज्ञान और खगोलशास्त्र जैसे क्षेत्रों में भी उसने अद्भुत योगदान दिया है। 

उन्होंने समझाया कि कैसे पाणिनी की अष्टाध्यायी आधुनिक कम्पाइलर डिज़ाइन और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) की नींव मानी जा सकती है, और कैसे पिंगलाचार्य का छंदसूत्र बाइनरी संख्याओं तथा एल्गोरिद्म की प्रारंभिक अवधारणा प्रदान करता है। इसी प्रकार, महावीर और भास्कराचार्य जैसे गणितज्ञों द्वारा प्रतिपादित सूत्र क्रमचय-संचय और प्रायिकता सिद्धांत में आज भी उपयोगी हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि वैदिक गणित उच्च गति वाले गणनात्मक कार्यों, क्रिप्टोग्राफी और एल्गोरिद्म डिज़ाइन के क्षेत्र में अत्यंत प्रासंगिक है। स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा प्रतिपादित 16 सूत्र और उपसूत्र आज की डिजिटल दुनिया में नई संभावनाओं को खोलते हैं।

कार्यक्रम के दौरान यह रेखांकित किया गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय ज्ञान प्रणाली को शिक्षा के सभी स्तरों पर समाहित करने की अनुशंसा की है। ज्ञान (ज्ञान), प्रज्ञा (बुद्धिमत्ता) और सत्य (सत्य की खोज) को सर्वोच्च मानव लक्ष्य मानने वाली भारतीय परंपरा आज भी शिक्षा और शोध के लिए मार्गदर्शक है।

डॉ. इंगले ने स्पष्ट किया कि भारतीय विद्वानों के विचार और सूत्र आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, डेटा माइनिंग और सॉफ्टवेयर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि इन क्षेत्रों की जड़ों को समझने में भी सहायक हैं।

संगोष्ठी में उपस्थित शोधार्थियों, विद्यार्थियों और प्राध्यापकों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारतीय ज्ञान परंपरा वास्तव में एक “स्वर्ण भंडार” है, जिसे पुनः खोजकर आधुनिक शिक्षा एवं अनुसंधान में उपयोग करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के अंत में सभी ने इस दिशा में आगे अनुसंधान एवं अध्ययन को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।

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