पेगासस जासूसी विवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष का हंगामा, रास की कार्यवाही पांच बजे तक स्थगित

Opposition

पेगासस जासूसी विवाद और केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों सहित अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई।

नयी दिल्ली। पेगासस जासूसी विवाद और केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों सहित अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई। लिहाजा चार बार के स्थगन के बाद पांचवीं बार सदन की कार्यवाही अपराह्न पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे के कारण आज एक बार फिर प्रश्न काल और शून्य काल हंगामे की भेंट चढ़ गए। कोई अन्य महत्वपूर्ण विधायी कामकाज भी नहीं हो सका।

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सरकार की कोशिश थी कि नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता विधेयक पर चर्चा पूरी कर उसे सदन से पारित करा लिया जाए लेकिन हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। चार बजे जब सदन की कार्यवाही फिर से आरंभ हुई तो पीठासीन अध्यक्ष सस्मित पात्रा ने नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता विधेयक पर चर्चा जारी रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी के सदस्य जुगलसिंह माथुरजी लोखंडवाला का नाम पुकारा। उन्होंने अपनी बात रखनी शुरू ही की थी कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सभापति के आसन के निकट आकर हंगामा करने लगे।

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विपक्षी सदस्यों की मांग थी कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को उनकी बात रखने का मौका दिया जाए लेकिन पीठासीन अध्यक्ष पात्रा ने हंगामा कर रहे सांसदों से कहा कि जब तक वे अपने स्थानों पर नहीं लौटेंगे, वह नेता प्रतिपक्ष को बोलने का मौका नहीं दे सकते। कुछ देर बाद जब विपक्षी सदस्य अपने स्थानों पर लौट आए तो पात्रा ने यह कहते हुए कि खड़गे को बोलने का मौका दिया कि वह नियम 267 के तहत उस मामले को ना उठाए जिसे सभापति एम वेंकैया नायडू ने अस्वीकार कर दिया है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने भी यही बात कही और फिर सदन के उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जिस मुद्दे पर बोलना चाहते हैं उस विषय पर केंद्रीय सूचना, प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री ने सदन में जवाब दे दिया है। खड़गे ने पेगासस जासूसी विवाद मुद्दे को उठाने की कोशिश की और कहा कि यह कोई मामूली घटना नहीं है। इस पर पीठासीन अध्यक्ष ने आपत्ति जताई और लोखंडवाला को अपनी चर्चा आगे बढ़ाने को कहा। इतने में विपक्षी सदस्य एक बार फिर आसन के समीप आ गए और हंगामा करने लगे।

हंगामा थमते न देख पीठासीन अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पांच बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर दो बजे जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने स्त्री अशिष्ट रूपण (प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2012 को वापस लिए जाने का प्रस्ताव पेश जिसे ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद पीठासीन अध्यक्ष ने लोखंडवाला का नाम पुकारा। लोखंडवाला ने बोलना आरंभ ही किया था कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष को बोलने को मौका देने का आग्रह किया लेकिन पीठासीन अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर लौटने का आग्रह किया और कहा कि इसके बाद ही वह उन्हें बोलने का मौका देंगे। हंगामा कर रहे सदस्यों पर उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ।

हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। पहली बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा। हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दलहन पर सीमा शुल्क घटाने की अधिसूचना संबंधी दस्तावेज सदन के पटल पर रखे। इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने प्रश्न काल शुरू होने की घोषणा करते हुए पूरक सवाल करने के लिए राकेश सिन्हा का नाम पुकारा। तभी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य पेगासस जासूसी विवाद, तीन कृषि कानूनों तथा अन्य मुद्दों पर सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए आसन के समीप आ गए। उनके हाथों में तख्तियां भी थीं।

हंगामा कर रहे सदस्यों को वापस अपने स्थानों पर लौटने का अनुरोध करते हुए उपसभापति ने कहा, ‘‘प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण है। आप सभी उच्च सदन के सदस्य हैं। सदन की गरिमा के अनुकूल आचरण करें।’’ हालांकि उनका यह प्रयास विफल रहा और नारेबाजी नहीं थमी। हंगामे के बीच ही राकेश सिन्हा ने वन को परिभाषित किए जाने संबंधी सवाल पूछे जिसका जवाब वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिया। शोर की वजह से उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। हंगामे के बीच ही कुछ अन्य सदस्यों ने भी अपने पूरक सवाल पूछे और संबंधित मंत्रियों की ओर से उनके जवाब दिए गए। हंगामा ना थमते देख उपसभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12.11 बजे दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी इससे पहले, हंगामे की वजह से उच्च सदन में आज भी शून्यकाल नहीं हो पाया।

बैठक शुरू होने पर आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल के तहत भाजपा सदस्य सुशील कुमार मोदी का नाम पुकारा और उनसे अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा। लेकिन इसी बीच कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर दिए गए अपने नोटिसों का जिक्र किया। सभापति ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत, कामकाज स्थगित कर कुछ मुद्दों पर चर्चा के लिए कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, द्रमुक के तिरूचि शिवा, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय सहित कुछ सदस्यों के नोटिस मिले हैं लेकिन उन्होंने इन नोटिसों को मंजूरी नहीं दी है। नायडू ने कहा कि आज शून्यकाल के तहत अलग अलग मुद्दे उठाने के लिए उन्हें 12 सदस्यों से नोटिस प्राप्त हुए हैं और विशेष उल्लेख भी हैं। इसके अलावा अन्य कामकाज भी होना है।

इस बीच विपक्षी सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। सभापति ने कहा कि इस तरह सदन की कार्यवाही बाधित करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि शून्यकाल के तहत सदस्यों ने महंगाई, कोविड-19 महामारी, पेट्रोल डीजल की कीमत में वृद्धि, कावेरी जल विवाद, बेरोजगारी, प्रेस की स्वतंत्रता, उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को होने वाली परेशानियां और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की जान लेने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने के लिए नोटिस दिए हैं, लेकिन उन्हें अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। हंगामा कर रहे सदस्यों को शांत करने का प्रयास कर रहे सभापति ने कहा ‘‘हम दिन पर दिन असहाय होते जा रहे हैं। ’’उन्होंने कहा कि शून्यकाल और विशेष उल्लेख के जरिये, जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने की अनुमति दी जाती है लेकिन ‘‘सदन में कामकाज नहीं हो पा रहा है... सदस्यों को अवसर नहीं मिल पा रहा है।’’ उन्होंने कहा ‘‘हम असहाय हो रहे हैं।

लोगों को पता चलना चाहिए कि कौन कौन से महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने की मंजूरी दी गई है। सदस्य मौजूद हैं, वे अपनी बात कहना चाहते हैं लेकिन कुछ लोग उन्हें बोलने नहीं दे रहे हैं।’’ सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और शून्यकाल चलने देने की अपील की लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब आठ मिनट पर ही बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सुबह, सदन की बैठक शुरू होने पर करगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ पर, पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही उच्च सदन ने तोक्यो ओलंपिक में 49 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक जीतने वाली भारोत्तोलक मीराबाई चानू को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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