IIMC में 'स्थापना दिवस व्याख्यान' का आयोजन, प्रो द्विवेदी ने कहा- वर्तमान समय की मांग है मूल्य आधारित पत्रकारिता

Sanjay Dwivedi

प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी एवं डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह भी विशेष तौर पर उपस्थित थे। 'नए समय में मीडिया' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए अनुराधा प्रसाद ने कहा कि आज मी​डिया, पत्रकारों और मीडिया मालिकों की चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि भविष्य में पत्रकारों के सामने क्या रास्ता है।

नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यान को संबोधित करते हुए 'न्यूज़ 24' की प्रधान संपादक अनुराधा प्रसाद ने कहा कि 'पॉपुलर न्यूज' और 'प्रोपेगेंडा' में अंतर समझने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को प्रोपेगेंडा से बचना चाहिए और पत्रकारिता की विश्वसनीयता को बरकरार रखना चाहिए। इस अवसर पर संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी एवं डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह भी विशेष तौर पर उपस्थित थे। 'नए समय में मीडिया' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए अनुराधा प्रसाद ने कहा कि आज मी​डिया, पत्रकारों और मीडिया मालिकों की चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि भविष्य में पत्रकारों के सामने क्या रास्ता है, इस पर भी बात की जाए। आजादी के आंदोलन में पत्रकारिता ने लोगों में अलख जगाने का काम किया था, इसलिए पत्रकरिता को समाज सेवा के साथ जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत निर्माण में भी पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल पत्रकारों के लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन हमें टेक्नोलॉजी को ही अपना दोस्त बनाना होगा। 

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प्रसाद के अनुसार पत्रकारिता करते समय किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं रखना चाहिए। मौजूदा दौर में अधिकतर लोग जिम्मेदारी से अपना काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं लोग अपनी लक्ष्मण रेखा को पार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया को पारदर्शिता बरतनी होगी। आप यदि पत्रकारिता का पेशा चुनते हैं, तो आपको भविष्य का ख्याल रखना होगा। आपको देखना होगा कि आने वाली पीढ़ियों को क्या मिलेगा। पत्रकारिता के मूल्यों का पालन करना बेहद जरूरी है। मीडिया का काम समाज में निराशा पैदा करना नहीं है। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि भारतीय जन संचार संस्थान ने आज अपने गौरवशाली इतिहास के 58 वर्ष पूरे किए हैं। किसी भी संस्थान की जीवंतता का प्रमाण है एक दूसरे से जुड़े रहना और कोरोना के कठिन समय में भी आईआईएमसी परिवार एक दूसरे के साथ जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी इसी भावना से 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' का निर्माण संभव हो सकता है। तकनीक ने हमें जो सुविधा दी है, उसका फायदा हमें उठाना चाहिए और मिलजुलकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।

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प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आज हर व्यक्ति सूचना दे रहा है, लेकिन समाचार देने का काम सिर्फ पत्रकार कर रहे हैं। आम जनता को ये पता ही नहीं है कि विज्ञापन क्या है और खबर क्या है। इसलिए समाज को मीडिया साक्षर बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज और हेट न्यूज से बचने का मूलमंत्र है, 'बुरा मत टाइप करो, बुरा मत लाइक करो और बुरा मत शेयर करो।' खबरों और विचारों में मिलावट रोकने के लिए मूल्य आधारित पत्रकारिता की आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन डीन छात्र कल्याण प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राकेश उपाध्याय ने दिया। आयोजन में संस्थान के समस्त प्राध्यापकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

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