ओवैसी ने अमित शाह को दी चुनौती, कहा- CAA पर किसी ‘‘दाढ़ी वाले के साथ’’ करें बहस
लखनऊ में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थन में आयोजित एक रैली में शाह ने कहा था कि सीएए को वापस नहीं लिया जाएगा और जो प्रदर्शन कर रहें है वे करते रहें। उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को संशोधित कानून पर सार्वजनिक बहस की चुनौती भी दी थी।
हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गृह मंत्री अमित शाह को बुधवार को चुनौती दी कि वह विपक्ष के नेताओं की बजाय सीएए पर उनके साथबहस करें। नगर निकाय चुनाव से पहले करीमनगर में एक रैली को संबोधित करते हुए मंगलवार रात हैदराबाद से सांसद ने कहा कि गृह मंत्री ने विपक्षी नेताओं को सीएए पर बहस के लिए आमंत्रित किया है जबकि उन्होंने शाह को उनसे इस कानून पर बहस करने को कहा था। लखनऊ में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थन में आयोजित एक रैली में शाह ने कहा था कि सीएए को वापस नहीं लिया जाएगा और जो प्रदर्शन कर रहें है वे करते रहें। उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को संशोधित कानून पर सार्वजनिक बहस की चुनौती भी दी थी।
شہریت قانون: امت شاہ کے چیلنج پر اویسی بو لے-مجھ سے کیجیے بحثhttps://t.co/BPIpl5ijmN #CAA #NPR #NRC #AmitShah @asadowaisi
— دی وائر اردو (@TheWireUrdu) January 22, 2020
शाह ने विपक्ष पर सीएए के खिलाफ लोगों को ‘‘गुमराह’’ करने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और मायावती को सार्वजनिक तौर पर इस पर बहस करने की चुनौती दी थी। शाह की चुनौती पर प्रतिक्रिया देते हुए औवेसी ने कहा, ‘‘ मैं यहां हूं.... मेरे साथ बहस करें... इन लोगों के साथ क्यों बहस करनी है... ‘‘दाढ़ी वाले से करो ना’’। हम सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर बहस और बात करेंगे।’’ एआईएमआईएम प्रमुख ने केन्द्रीय बजट की ‘हलवा’ रस्म का जिक्र करते हुए भाजपा पर स्थानों का नाम बदलने को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा ने कहा है कि वह नाम बदलेंगे। मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि ‘हलवा’ शब्द कहां से आया है? यह अरबी शब्द है। यह हिंदी या उर्दू शब्द नहीं है। अब अरबी शब्द भी हटा दें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वे (भाजपा) कहते हैं कि वे नाम बदलेंगे। इंशाअल्लाह देश के लोग आपको बदलेंगे। याद रखें मैं हलवा नहीं लाल मिर्च हूं।’’
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इस बीच, एआईएमआईएम ने तेलंगाना राज्य चुनाव आयोग से शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव में प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे ‘फेस रिकग्निशन ऐप’ का उपयोग ना करने का अनुरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह अन्य उल्लंघनों सहित नागरिकों की निजता का उल्लंघन है।
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