कश्मीर नीति की सफलता के लिए पाक से वार्ता जरूरी: अंसारी

Pak talks are essential for Kashmir''s success: Ansari

कश्मीर मुद्दे को किसी न किसी रूप से पाकिस्तान के साथ जुड़ा बताते हुए कश्मीर पर पूर्व वार्ताकार एम एम अंसारी ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे पर ‘‘गले लगाने की प्रधानमंत्री’’ की नीति पाकिस्तान से बातचीत जारी रखते हुए राज्य में सत्ता के विकेंद्रीकरण से ही सफल हो सकती है।

नयी दिल्ली। कश्मीर मुद्दे को किसी न किसी रूप से पाकिस्तान के साथ जुड़ा बताते हुए कश्मीर पर पूर्व वार्ताकार एम एम अंसारी ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे पर ‘‘गले लगाने की प्रधानमंत्री’’ की नीति पाकिस्तान से बातचीत जारी रखते हुए राज्य में सत्ता के विकेंद्रीकरण से ही सफल हो सकती है। उन्होंने कश्मीर पर पूर्व वार्ताकारों की रिपोर्ट पर अमल करने की मांग भी की।

कश्मीर मामलों पर पूर्व वार्ताकार ने कहा कि मेरा आज भी मानना है कि कश्मीर का मुद्दा किसी न किसी रूप में पाकिस्तान के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसे में हमें पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए। जबकि आज की स्थिति यह है कि दोनों देशों के संबंध अभी शीतयुद्ध की स्थिति में पहुंच गए है। उन्होंने कहा, हमें यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीनों क्षेत्र की आकांक्षाएं अलग अलग हैं––– ऐसे में वहां क्षेत्रीय स्तर पर सत्ता का विकेंद्रीकरण करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था कि गोलियों या गालियों से कश्मीर मुद्दे का हल नहीं हो सकता और प्रत्येक कश्मीरी को गले लगाकर ही इसका समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा था कि आतंकवाद के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी और उनकी सरकार कश्मीर की खोई हुई गरिमा और ‘‘धरती पर स्वर्ग’’ का उसका गौरव बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। अंसारी ने बातचीत में कहा कि राज्य की स्थिति को ठीक ढंग से समझकर आगे बढ़ने की जरूरत है।

वर्तमान राजग सरकार ने दिनेश्वर शर्मा को प्रतिनिधि बनाकर राज्य में भेजा है जो इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी रहे हैं। उन्हें ऐसे हालात में वहां भेजा गया हैं जब सुरक्षा बलों के अभियान के बाद पूरी तरह से शांति स्थापित नहीं हो पायी है। इससे पहले पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने साल 2010 में कश्मीर के विषय पर लोगों से बात करने और वहां की स्थिति का जायजा लेने के लिये वर्ताकारों की एक टीम का गठन किया था जिसमें दिलीप पडगांवकर, प्रो– राधा कुमार और एम एम अंसारी शामिल थे। वार्ताकारों की इस टीम का गठन जम्मू कश्मीर का दौरा करने वाले केंद्रीय सर्वदलीय शिष्टमंडल के सुझाव के आधार पर किया गया था। अंसारी ने कहा कि हमने जम्मू कश्मीर में पांच हजार से ज्यादा लोगों और प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की थी और केन्द्र सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। लेकिन हमारे सुझावों पर अब तक अमल नहीं हुआ।

यह पूछे जाने पर कि कश्मीर मामले पर संप्रग सरकार के दौरान गठित वार्ताकारों की टीम और वर्तमान सरकार की ओर से नियुक्त प्रतिनिधि में क्या अंतर है, उन्होंने कहा कि पूर्व वार्ताकारों की टीम सर्वदलीय शिष्टमंडल के सुझाव पर गठित की गई जिसका दायरा बड़ा था जबकि वर्तमान प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा सरकार के प्रतिनिधि हैं। एम एम अंसारी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में युवा कटा हुआ महसूस कर रहे हैं, ऐसे युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिये जमीनी प्रयास करने की जरूरत है। युवाओं के लिये राज्य खास तौर पर कश्मीर में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने चाहिए।

राह से भटक गये युवाओं के पुनर्वास एवं उनकी निगरानी के लिये तंत्र स्थापित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय कश्मीरी पंडितों का मुद्दा है, इनकी समस्याओं को सुलझाना जरूरी है। कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षो के दौरान राज्य में मानवाधिकार से जुड़े विषय भी सामने आएं हैं, ऐसे में सभी पक्षों को ‘भूल जाने और माफ करने’ के रास्ते तलाशने की जरूरत है। इससे कुछ महत्वपूर्व विषयों का समाधान निकालने में मदद मिलेगी। पूर्व वार्ताकार ने कहा कि पश्चिम पाकिस्तान के विस्थापितों का विषय भी महत्वपूर्ण है, ऐसे में हमें इस विषय को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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