तीनों सेनाओं का 'असाधारण' तालमेल, राजनाथ सिंह बोले- ऑपरेशन सिंदूर के 'करारे प्रहार' से पाकिस्तान अब तक नहीं उबर पाया

Rajnath Singh
ANI
रेनू तिवारी । Oct 23 2025 8:44AM

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर किए गए 'करारे प्रहार' का प्रमाण बताया, जिससे वह अब तक उबर नहीं पाया है। उन्होंने इसे तीनों सेनाओं के असाधारण तालमेल का प्रदर्शन करार दिया, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की समन्वित और दूरदर्शी रणनीति का प्रतीक है। यह बयान देश की सैन्य शक्ति और रणनीतिक संकल्प को रेखांकित करता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तीनों सेनाओं के तालमेल का एक ‘‘असाधारण’’ प्रदर्शन था और पाकिस्तान भारतीय सेना द्वारा किए गए ‘‘करारे प्रहार’’ से अभी तक उबर रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस ऑपरेशन ने उभरती राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित, अनुकूलनशील और स्थिति को पहले ही भांपकर रणनीति तैयार करने के भारत के संकल्प की पुष्टि की।

सिंह ने एक पुस्तक के विमोचन समारोह में कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं के बीच असाधारण एकजुटता एवं एकीकरण नजर आया और बदलती वैश्विक व्यवस्था और युद्ध के विकसित होते तरीकों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित, अनुकूलनशील और स्थिति को पहले ही भांपकर रक्षा रणनीति तैयार करने के सरकार के संकल्प की पुष्टि की।’’

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आज के समय में रक्षा का पारंपरिक दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं है क्योंकि युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते, बल्कि वे अब ‘हाइब्रिड’ और विषम रूप ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ देश की रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने हेतु भविष्य के लिए तैयार सेना बनाने के मकसद से कई ‘‘साहसिक और निर्णायक’’ सुधार किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ इन ऐतिहासिक कदमों में से एक कदम प्रमुख रक्षा अध्यक्ष के पद का सृजन था, जो तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और तालमेल को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित हुआ।’’ सिंह ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एकजुटता और एकीकरण का परिणाम पूरी दुनिया ने देखा। पाकिस्तान हमारे सशस्त्र बलों द्वारा किए गए करारे प्रहार से अब भी उबर रहा है।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने घरेलू रक्षा उत्पादन में वृद्धि और भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए तेज़ी से एक विनिर्माण केंद्र बनने का भी ज़िक्र किया। "इस पुस्तक को पढ़ने से मुझे जो मुख्य सीख मिली, वह यह है कि नागरिक-सैन्य एकीकरण को केवल एकीकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखा जाना चाहिए... यह प्रक्रिया अब भारत में तेज़ी से आगे बढ़ रही है... हमने रक्षा विनिर्माण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया है। रक्षा स्टार्टअप्स को बढ़ावा देते हुए, हमने शिक्षा जगत के साथ उद्योग जगत की साझेदारी भी बढ़ाई है। आज, हम तेज़ी से रक्षा क्षेत्र के लिए एक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहे हैं... घरेलू रक्षा उत्पादन अब कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है। इसमें से निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 33,000 करोड़ रुपये है। सरकार ने इस पुस्तक में दिए गए कई सुझावों पर अमल शुरू कर दिया है..."

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22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने मई में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी ढाँचों को निशाना बनाया था। रक्षा मंत्री ने नागरिक-सैन्य एकीकरण के महत्व पर भी ज़ोर दिया और कहा कि इसे एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखा जाना चाहिए जो नवाचार को बढ़ावा दे, प्रतिभा को संरक्षित करे और राष्ट्र को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करे। उन्होंने कहा, "यह एकीकरण तभी संभव है जब हम अपने नागरिक उद्योग, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत और रक्षा क्षेत्र को एक साझा राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए जोड़ें। इससे हमारी आर्थिक उत्पादकता और रणनीतिक बढ़त बढ़ती है।"

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सिंह ने कहा कि दुनिया "श्रम विभाजन" से आगे बढ़कर "उद्देश्य के एकीकरण" की ओर बढ़ रही है और अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ निभाने के बावजूद, एक साझा दृष्टिकोण के साथ काम करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, "श्रम विभाजन के संदर्भ में हमारा नागरिक प्रशासन और सेना निश्चित रूप से अलग-अलग हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद से, हमारे प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि कोई भी प्रशासन अलग-अलग काम नहीं कर सकता; उसे एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा।"

वर्तमान प्रौद्योगिकी-संचालित युग में नागरिक-सैन्य एकीकरण की प्रकृति को समझने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए, सिंह ने मुख्य चुनौतियों की पहचान करने और सैन्य क्षेत्र में नागरिक तकनीकी क्षमताओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।

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