पवार ने लक्षित हमलों के सबूत मांगने वालों की निंदा की

पूर्व रक्षा मंत्री और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सेना की ओर से पीओके में की गयी सर्जिकल हमले की कार्रवाई के सबूत मांगने वालों की निंदा की और कहा कि वे ‘‘मूर्ख और बहुत गैरजिम्मेदार’’ हैं।

नागपुर। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना के लक्षित हमलों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन किया और कहा कि आतंकवादियों और आतंक फैलाने वालों को सबक सिखाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय में भी इस तरह की कार्रवाई की गई थी लेकिन तत्कालीन सरकार ने उनका प्रचार नहीं किया। पूर्व रक्षा मंत्री ने सेना की कार्रवाई के सबूत मांगने वालों की भी निंदा की और कहा कि वे ‘‘मूर्ख और बहुत गैरजिम्मेदार’’ हैं।

पवार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आतंकवादियों और आतंक फैलाने वालों को सबक सिखाने के लिए नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमले करने का सरकार और भारतीय सेना का फैसला पूरी तरह से सही था।’’ हालांकि उन्होंने कहा कि सेना के अभियान के बारे में बात करना राष्ट्रहित में नहीं होगा।

गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस नेताओं पी चिदंबरम तथा संजय निरूपम ने सेना के अभियान के दावे के समर्थन में सबूत मांगे थे। इससे पहले पवार ने यहां एक पार्टी सम्मेलन में कहा, ‘‘जब हम (संप्रग) सत्ता में थे तो नियंत्रण रेखा के पार चार लक्षित हमले किये गये। हालांकि हमने इनका प्रचार नहीं किया।’’ पवार ने लक्षित हमलों पर मोदी सरकार को बधाई तो दी लेकिन सेना अभियान को सार्वजनिक करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने यहां पार्टी के एक सम्मेलन में कहा, ‘‘कुछ चीजों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने म्यामां में लक्षित हमले किये, लेकिन हमारा अभियान सीमित था और हमने इसका फायदा उठाने का प्रयास कभी नहीं किया।’’

मोदी द्वारा अपनी कैबिनेट के सहयोगियों से हमलों को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं होने के लिए कहने के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि भाजपा नेताओं को सेना अभियान को लेकर बयान देने से बचना चाहिए। जब पवार से उनके अगले राष्ट्रपति बनने की संभावना को लेकर पूछा गया तब उन्होंने कहा कि संसद में मुट्ठी भर सांसदों के साथ एक पार्टी इसके बारे में सोच भी नहीं सकती। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पैर मजबूती से जमीन पर टिके हैं।’’

आरक्षण समेत कई मांगों को लेकर मराठा समुदाय द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन पर, पवार ने कहा कि इसके पीछे समुदाय के किसी भी राजनीतिक नेता का हाथ नहीं है। एक सवाल का जवाब देते हुये उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को निरस्त करने के पक्ष में नहीं थी लेकिन इसमें संशोधन करने का समर्थन किया था।

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