PM मोदी ने UN से पूछा, कब तब भारत को निर्णय प्रक्रिया ढांचे से अलग रखा जाएगा
मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत ने दो अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल की थी। इतना ही नहीं, आपदा और अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस से जुड़े प्रयासों की पहल भी भारतने ही की।
>प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सभी बदल जाएं और ‘‘हम ना बदलें’’ तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाए तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं लेकिन इसके साथ ही अनेक ऐसे उदाहरण हैं जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लोग, संयुक्त राष्ट्र के सुधारों को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रक्रिया कभी अपने निर्णायक मोड़ तक पहुंच पाएगी? आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के, निर्णय प्रक्रिया के ढांचे से अलग रखा जाएगा?’’ मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधारा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?’’ मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग को लेकर भारत लंबे समय से आवाज उठा रहा है। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस भारत की स्थायी सदस्यता के पक्ष में हैं।Even during these very difficult times of the raging pandemic, the pharmaceutical industry of India has sent essential medicines to more than 150 countries: PM Narendra Modi at UNGA#ModiAtUN pic.twitter.com/P29QirrQuA
— ANI (@ANI) September 26, 2020
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मोदी ने कहा, ‘‘जब हम मजबूत थे तो दुनिया को कभी सताया नहीं, जब हम मजबूर थे तो दुनिया पर कभी बोझ नहीं बने।’’ भारत की ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की भावना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत वह देश है जिसने शांति की स्थापना के लिए लगभग 50 शांति मिशन में अपने जांबाज सैनिक भेजे, जिसने शांति की स्थापना में सबसे ज्यादा अपने वीर सैनिकों को खोया है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में आज प्रत्येक भारतवासी, संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र में अपनी व्यापक भूमिका भी देख रहा है।’’ आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से उठाए गए कदमों पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए और कहा कि बेशक तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ लेकिन आंतकवाद की आग ने पूरी दुनिया को झुलसाया और आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया को थर्रा कर रख दिया। यहां तक कि खून की नदियां बहती रहीं। उन्होंने पूछा, ‘‘उस समय और आज भी संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?’’ कोविड-19 महामारी से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल खड़े करते हुए मोदी ने वैश्विक समुदाय को आश्वस्त किया कि भारत की टीका उत्पादन और टीका वितरण की क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। उन्होंने पूछा, ‘‘पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोविड-19 वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली प्रतिक्रिया कहां है?’’ मोदी ने कहा कि महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजी।
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उन्होंने कहा, ‘‘विश्व के सबसे बड़े टीका उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की टीका उत्पादन और टीका वितरण क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी।’’ कोविड महामारी से अब तक विश्व की 3.2 करोड़ आबादी प्रभावित हो चुकी है और दुनिया भर में इससे 9.9 लाख से अधिक लोग अपनी जांन गंवा चुके हैं। भारत में इस महामारी से अब लगभग 60 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और 93,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कोविड महामारी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया पर प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे समय में सवाल उठाया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका की आलोचना करते रहे हैं। पिछले सप्ताह ही उन्होंने आरोप लगाया था कि विश्व की सर्वोच्च स्वास्थ्य संस्था का नियंत्रण चीन कर रहा है। मोदी ने कहा कि भारत कोरोना वायरस के टीके के क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे दौर में है। मोदी ने कहा कि भारत जब किसी दूसरे देश से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘‘भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।’’ इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा की यह बैठक मुख्य रूप से डिजिटल माध्यम से हो रही है। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर विश्व के अधिकतर नेताओं ने न्यूयॉर्क पहुंचना मुनासिब नहीं समझा।
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उन्होंने कहा कि चाहे ‘‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’’ से लेकर ‘‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’’ हो या फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर विचार, भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है, न कि अपने निहित स्वार्थों के बारे में। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की साझेदारी करने का मार्गदर्शन भी यही सिद्धांत तय करता है। भारत जब किसी देश से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होता। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।’’ मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत ने दो अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल की थी। इतना ही नहीं, आपदा और अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस से जुड़े प्रयासों की पहल भी भारतने ही की। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर भारत में किए गए विकास कार्यों का भी उल्लेख किया और बताया कि कैसे 130 करोड़ के इस देश में करोड़ों लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया, खुले में शौच से मुक्त कराया गया, मुफ्त इलाज की सुविधा से जोड़ा गया। उन्होंने कहा, ‘‘महामारी के बाद बनी परिस्थितियों के बाद हम अब आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद होगा।
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