कश्मीर पर बोलने के लिए मध्य प्रदेश जाना पड़ा पीएम कोः विपक्ष
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राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मोदी ने संसद में कश्मीर के संबंध में कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश से कश्मीर को संबोधित किया।
कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए विपक्ष ने आज राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और इस विषय पर सर्वदलीय बैठक बुलाने तथा एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने की मांग की वहीं सत्तापक्ष ने कहा कि कुछ लोगों के अलगाववादियों के प्रभाव में आकर काम करने के कारण यह स्थिति बनी है।
कश्मीर घाटी में वर्तमान स्थिति पर राज्यसभा में चर्चा की शुरूआत करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वहां की स्थिति को सामान्य कानून व्यवस्था का विषय नहीं मानना चाहिए। इस क्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार पर विशेष रूप से निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाने और एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में कश्मीर के संबंध में कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि दलितों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने तेलंगाना से बयान दिया और उन्होंने मध्य प्रदेश से कश्मीर को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर से सिर्फ उसकी खूबसूरती, उसके पहाड़ों, झरनों के लिए प्यार नहीं करना चाहिए बल्कि वहां के लोगों, बच्चों से प्यार करना चाहिए जिनकी आंखें पैलेट गन के कारण चली गयीं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कश्मीरियत, इंसानियत, जम्हूरियत के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान को उद्धृत किया है। लेकिन ऐसी बातें वाजपेयी के मुंह से ही अच्छी लगती थीं। लेकिन जो लोग इस पर भरोसा नहीं करते, वे भी ऐसी बात बोलते हैं तो अटपटा लगता है। आजाद की कुछ बातों पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति जतायी और वित्त मंत्री एवं सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीर की स्थिति है और ऐसे में आवश्यक है कि जहां तक संभव हो, हम एक स्वर में बात करें। उन्होंने कहा कि कई ऐसे ऐतिहासिक मुद्दे रहे हैं जहां हमारे मतभेद रहे हैं। लेकिन यह मौका उन पर चर्चा का नहीं है। उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे चर्चा में राष्ट्रीय दृष्टिकोण सामने रखें।
आजाद ने कहा कि कश्मीर में अलगाववाद है, सांप्रदायिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता और आतंकवादियों के शिकार हुए लोगों में 95 प्रतिशत मुस्लिम हैं। पैलेट गन से हो रहे भारी नुकसान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में यह स्थिति पहली बार नहीं पैदा हुयी है। जब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस समय भी ऐसी स्थिति बनी थी। आजाद ने कहा कि वहां कई सालों से आतंकवाद की समस्या रही है और वहां की समस्या आम कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है। वहां पुलिस के साथ केंद्रीय अर्धसैनिक बल तैनात है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं और राज्य सरकार अकेले समस्या का समाधान नहीं कर सकती। उसके पास न तो संसाधन हैं और न ही पर्याप्त श्रमशक्ति। राज्य मदद के लिए केंद्र पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और यह सिर्फ कहने से काम नहीं चलेगा बल्कि दिल से ऐसा दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए दिल भी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वहां की पीड़ा के संबंध में सदन से आवाज आनी चाहिए थी। आजाद ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो विश्वास बहाली के कई उपाय किए गए थे और हुर्रियत को छोड़कर सभी दलों और पक्षों ने सहयोग दिया था। उन्होंने इस क्रम में पिछली संप्रग सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में 32-33 दिनों से कर्फ्यू है और हजारों लोग घायल हुए हैं। इनमें असैनिकों के अलावा सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। उन्हें दोनों के लिए अफसोस है। उन्होंने कहा कि शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जब संसद के किसी एक सत्र में ही किसी विषय पर चार बार चर्चा हुयी और आज चौथी बाद राज्यसभा में कश्मीर की स्थिति पर चर्चा हो रही है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले दो सालों से दलितों और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बढ़ा है।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास ने कहा कि जम्मू और लद्दाख की बात किए बिना कश्मीर की बात कैसे की जा सकती है। उन्होंने कहा कि तीनों क्षेत्रों को मिलाकर ही जम्मू कश्मीर बनता है। उन्होंने कहा कि जम्मू ऐसा क्षेत्र है जिसकी 500 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान से मिलती है। वहां आए दिन पाकिस्तान कोई न कोई वारदात करता रहता है। ऐसे में वहां के लोग रक्षा में जुटे रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 55 प्रतिशत आबादी जम्मू में रहती है जहां सात लाख युवक विभिन्न प्रकार की डिग्रियां लेकर बेरोजगार हैं। लेकिन वे लोग तो हथियार नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले हमें जम्मू और लद्दाख को भी समझना होगा। उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं होगा कि बेरोजगारी के कारण वहां यह स्थिति बनी है।
राष्ट्रवाद और अलगाववाद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों ने भी लोकतंत्र पर भरोसा किया है। उन्होंने कहा कि पूरा भारत जम्मू कश्मीर के साथ हमदर्दी रखता है तभी वह भारत के साथ है। लेकिन जो वहां हो रहा है, उस संकट का कारण क्या रहा है। उन्होंने कहा कि उग्रवाद या अलगाववाद क्यों बढ़ा, इसका कारण खोजना पड़ेगा। अलगाववादी नेताओं का जिक्र करते हुए भाजपा सदस्य ने कहा कि वे दूसरे लोगों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई चंद लोग लड़ रहे हैं जो अलगाववादियों के हाथों में खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में सड़कों पर पत्थर नहीं मिलते फिर वहां पत्थर कहां से आते हैं। उन्होंने सवाल किया कि बच्चों के हाथों में पत्थर कौन लोग देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें चिंता यह करनी चाहिए कि वहां बच्चों का भविष्य कैसे बनाया जाए। उन्होंने कहा कि जब से प्रदेश में नयी सरकार बनी, वातावरण शांत था। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने इस क्रम में दो एम्स, आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना किए जाने का जिक्र किया। उन्होंने राज्य में सुरक्षाकर्मियों की शहादत का उल्लेख करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का मुकुटमणि है और यह बना रहेगा।
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