पुलिस का दावा, शरजील ने CAA और NRC पर सरकार के खिलाफ दिए थे भड़काऊ भाषण

Sharjeel

पुलिस ने इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल किया है और इमाम की याचिका का विरोध किया। इमाम ने पुलिस को जांच के लिए और समय देने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है।

नयी दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू का पूर्व छात्र शरजील इमाम किसी राहत का हकदार नहीं है क्योंकि उसने लगातार सरकार के खिलाफ भड़काने वाले भाषण दिए। पुलिस ने अदालत को बताया कि शरजील इमाम ने सीएए और एनआरसी के विरोध के नाम पर सांप्रदायिक किस्म के भाषण दिए जिससे सांप्रदायिक तनाव भड़का और विभिन्न समूहों के बीच रंजिश बढ़ी। पुलिस ने इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल किया है और इमाम की याचिका का विरोध किया। इमाम ने पुलिस को जांच के लिए और समय देने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है। 

इसे भी पढ़ें: UP में कोरोना संक्रमण से अबतक 257 मरीजों की मौत, 5,648 लोग हो चुके हैं ठीक

हलफनामे में कहा गया है कि कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं हुआ है और जांच के लिए समय बढ़ाने के संबंध में वाजिब कारण हैं। जांच अधिकारियों ने दलील दी है कि इमाम किसी भी प्रकार का राहत पाने का हकदार नहीं है क्योंकि सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर उसने सरकार के खिलाफ लगातार भड़काऊ भाषण दिया। निचली अदालत के 25 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने वाली इमाम की याचिका के जवाब में पुलिस ने वकील अमित महाजन और रजत नायर के जरिए अपना हलफनामा दाखिल किया है। निचली अदालत ने दिल्ली पुलिस को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामले में जांच पूरी करने के लिए वैधानिक 90 दिन से ज्यादा तीन और महीने का वक्त दिया था। याचिका पर अगली सुनवाई 10 जून को होगी। 

इसे भी पढ़ें: JNU ने प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों से की अपील, कहा- संस्थान की छवि को ना करें धूमिल

पिछले साल दिसंबर में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास सीएए के विरोध में हिंसक प्रदर्शन से जुड़े मामले में इमाम को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद जिले से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से 90 दिन की वैधानिक अवधि 27 अप्रैल को खत्म हो गयी। इमाम ने अनुरोध किया कि जांच 90 दिन की वैधानिक अवधि में पूरी नहीं हुई इसलिए उसे स्वत: ही जमानत दी जानी चाहिए और इसके अलावा पुलिस ने जब जांच के लिए और समय देने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की तो उसे कानून के तहत नोटिस नहीं दिया गया। लेकिन निचली अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़