राजनीतिक दलों ने भूमि अतिक्रमण पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश की निंदा की

Political parties condemn J and K administration
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प्रशासन की निंदा करते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कानून जम्मू-कश्मीर में लोगों को ‘‘बेदखल’’ करने, ‘‘अपमानित’’ करने और ‘‘दंडित’’ करने के लिए बनाए गए हैं।

जम्मू-कश्मीर में सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के अधिकारियों के हालिया निर्देश की विभिन्न दलों के नेताओं ने सोमवार को आलोचना की और केंद्र-शासित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला। प्रशासन की निंदा करते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कानून जम्मू-कश्मीर में लोगों को ‘‘बेदखल’’ करने, ‘‘अपमानित’’ करने और ‘‘दंडित’’ करने के लिए बनाए गए हैं।

राजस्व विभाग के आयुक्त सचिव विजय कुमार बिधूड़ी ने नौ जनवरी को जारी एक परिपत्र में सभी उपायुक्तों को जनवरी के अंत तक रोशनी और कहचराई सहित सभी सरकारी भूमि से 100 प्रतिशत अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आपको अमीर, शक्तिशाली अभिजात वर्ग के पीछे जाने से कौन रोकता है। अब तक अभिजात वर्ग ही बच रहा है। गरीबों के आवास रूपी नाजुक संरचनाएं आवश्यकताओं से खड़ी होती हैं। ये संरचनाएं परिवारों, आकांक्षाओं, सपनों, महत्वाकांक्षाओं, भावनाओं, यादों को समेटे हुए हैं।’’

महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि सरकार जम्मू-कश्मीर में लोगों को उनका अस्तित्व बचाने से जुड़े मुद्दों में व्यस्त रख रही है, ताकि वे अपनी पहचान पर हमले से न लड़ सकें। उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, “कानून जनता के कल्याण के लिए बनाए गए हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में उन्हें शक्तिहीन करने, अपमानित करने और दंडित करने के लिए हथियार बनाया जा रहा है। यह नवीनतम फरमान इसलिए जारी किया गया, क्योंकि भारत सरकार को अपने नियंत्रण वाली सभी एजेंसियों का दुरुपयोग करने और कठोर कानूनों को लागू करने के बावजूद वांछित परिणाम नहीं मिल रहे हैं।”

डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी (डीएपी), कांग्रेस और पीडीपी के कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर अलग-अलग विरोध-प्रदर्शन किया। डीएपी के उपाध्यक्ष जी एम सरूरी के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने पनामा चौक से जम्मू के मंडलायुक्तकार्यालय तक शांतिपूर्ण मार्च निकाला। उन्होंने आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग को लेकर मंडलायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा। डीएपी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने हाल में इस आदेश को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया था और कहा था कि उन्होंने रोशनी योजना के तहत गरीबों, जरूरतमंदों और भूमिहीनों को घर बनाने तथा खेती करने के लिए जमीन मुहैया कराई थी, लेकिन अब मौजूदा शासन इसे वापस छीन रहा है, वह भी कठोर मौसम की स्थिति में।

उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोग इसके संसाधनों के पहले लाभार्थी हैं। वरिष्ठ नेता शाहनवाज चौधरी के नेतृत्व में दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकारी आदेश के खिलाफ प्रेस क्लब के बाहर इसी तरह का विरोध-प्रदर्शन किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एम वाई तारिगामी ने भी आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की।

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