डिजिटल मीडिया पर प्रभासाक्षी की परिचर्चा में बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ और पत्रकारों ने किया मंथन

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[email protected] । Nov 8 2019 10:30PM

समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी की 18वीं वर्षगाँठ पर ''डिजिटल मीडिया पर राष्ट्रभाषा हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ती भूमिका'' विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन 8 नवंबर 2019 को सायं 4 बजे से नयी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में किया गया जिसमें कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञों, मीडिया जगत की जानीमानी हस्तियों, विभिन्न राज्यों के लेखकों/पत्रकारों और बड़ी संख्या में पत्रकारिता के छात्रों आदि ने भाग लिया।

डिजिटल मीडिया पर हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं का प्रभुत्व भले बढ़ा रहा हो लेकिन इस न्यू मीडिया मंच ने पत्रकारिता का जो स्वरूप बदला है और नई चुनौतियाँ आम पाठक, राजनीतिक दलों और सरकारों के समक्ष खड़ी की हैं वह चिंताजनक भी है। भारत के प्रमुख हिन्दी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी की 18वीं वर्षगाँठ पर 'डिजिटल मीडिया पर राष्ट्रभाषा हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ती भूमिका' विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन 8 नवंबर 2019 को सायं 4 बजे से नयी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में किया गया जिसमें कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञों, मीडिया जगत की जानीमानी हस्तियों, विभिन्न राज्यों के लेखकों/पत्रकारों और बड़ी संख्या में पत्रकारिता के छात्रों आदि ने भाग लिया।

इस दौरान कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे द्वारा आमंत्रित किए जाने के बाद जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन, आईआईएमसी के डीजी केजी सुरेश, माखनलाल चतुर्वेदी के प्रो. संजय द्विवेदी और हेमंत तिवारी ने की। जिसके बाद कार्यक्रम की शुरुआती और परिचर्चा पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार तरुण विजय ने की ओर से किया गया। इसके बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने अपना वक्तव्य पेश करते हुए कहा कि आपने जनता दल यूनाइटेड जैसी छोटी पार्टी को आमंत्रित किया उसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं। डिजिटल मीडिया की जिम्मेदारियां, चुनौतियों के बारे में बात करते हुए प्रभासाक्षी की रिपोर्टिंग की तारीफ भी की। बीजेपी नेत्री शाजिया इल्मी ने प्रभासाक्षी की 18वीं वर्षगाँठ पर कहा कि प्रभासाक्षी की हम बहुत इज्जत करते हैं, क्योंकि 18 सालों तक एक भाषा की सेवा करना एक बड़ी बात है। इसी बीच उन्होंने पुराने प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि एक तरफ शाजिया इल्मी दूसरी तरफ दो पैनलिस्ट थे, वो भारतीय ही थे, लेकिन वो भारत में मानवाधिकार की बात कर रहे थे। टीवी चैनल वाले उसे देते हैं 28 मिनट और मुझे 30 सेकेंड। तो मैं इसी तरह की मिलावट की बात कर रही थी। सबसे बड़ा चैलेंज है अंदर की सोच को न लाना। आपको अपनी सोच से आगे चलना है। जो कुछ भी लिखें, पढ़ें या सोचें उसके बारे में गौर करें। इस कार्यक्रम में आगे उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग ने प्रभासाक्षी की 18वीं वर्षगांठ पर आभार व्यक्त किया और कहा कि राजनाथ जी और जनरल वीके सिंह का चुनाव संयोजक रहा फिर खुद भी चुनाव लड़ लिया और मंत्री बना दिया गया। मिलावट की बात है तो राजनीतिक लोग पब्लिक से वोट लेना चाहते हैं तो पब्लिक का पर्सेपशन हमें बनाना है। वामपंथी विचारधारा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुझे कोई विचारधारा नजर नहीं आती। इसी के साथ उन्होंने एनआरसी एक्ट का भी जिक्र किया और निर्भया कांड पर कानून बनाए जाने के लिए अपने सरकार की भी तारीफ की। 

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