हिंदी को लेकर फिर शुरू हुई राजनीति, अधीर रंजन बोले- हम इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ तौर पर कहा कि हिंदी न तो राष्ट्रभाषा है और न ही संपर्क भाषा। संघीय प्रणाली में, कोई भी भाषा को जबरदस्ती नहीं थोप सकता है। हमें अन्य भाषाएं सीखने में कोई समस्या नहीं है।
हिंदी को लेकर एक बार फिर से देश में राजनीति शुरू हो गई है। दरअसल, हाल में ही गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी पर जोर दिए जाने की बात कही थी। इसी को लेकर अब लगातार विपक्षी दलों की ओर से विरोध किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी हम इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। यह सांस्कृतिक आतंकवाद है।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ तौर पर कहा कि हिंदी न तो राष्ट्रभाषा है और न ही संपर्क भाषा। संघीय प्रणाली में, कोई भी भाषा को जबरदस्ती नहीं थोप सकता है। हमें अन्य भाषाएं सीखने में कोई समस्या नहीं है। वहीं कांग्रेस के ही नेता जयराम रमेश ने कहा कि हिंदी राज है, न कि राष्ट्र जैसा कि राजनाथ सिंह ने संसद में तब कहा था जब वह गृह मंत्री थे। रमेश ने ट्विटर पर कहा, ‘‘मैं हिंदी के साथ बहुत सहज हूं, लेकिन मैं नहीं चाहता कि इसे किसी पर थोपा जाये। अमित शाह इसे थोपकर हिंदी का नुकसान कर रहे हैं।’’We're not ready to accept it (Union HM's remark 'Hindi should be accepted as an alternative to English'). This is cultural terrorism: West Bengal Congress chief & MP Adhir Ranjan Chowdhury pic.twitter.com/ywe51mxgXw
— ANI (@ANI) April 9, 2022
आपको बता दें कि अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा था कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, शाह ने राजधानी दिल्ली में संसदीय राजसमिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राज है और यह निश्चित तौर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाएगा। उन्होंने सदस्यों को बताया कि मंत्रिमंडल का 70 प्रतिशत एजेंडा अब हिंदी में तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि राजहिंदी को देश की एकता का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाए।Hindi is neither a national language nor a link language. In federal system, one can't impose any language forcefully.We don't have any problem learning other languages: Former Karnataka CM&LoP Siddaramaiah on Union HM's remark 'Hindi should be accepted as alternative to English' pic.twitter.com/kOGwukNQ0h
— ANI (@ANI) April 8, 2022
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि शाह का हिंदी पर जोर भारत की ‘अखंडता और बहुलवाद’ के खिलाफ है और यह अभियान सफल नहीं होगा। स्टालिन की पार्टी द्रमुक हिंदी विरोधी आंदोलनों में आगे रही है जो कई बार हिंसक हो चुका है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के भाजपा नीत केंद्र के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाएगा। तृणमूल ने कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रीय नहीं है। पार्टी ने कहा कि शाह का ‘‘एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म’’ का एजेंडा कभी पूरा नहीं होगा। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गृह मंत्री ने हिंदी के बारे में उपदेश देने की कोशिश की है, जो उन्हें नहीं करना चाहिए।
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