कश्मीर में हंगामा हो तो सब दिखाते हैं, विकास को कवर सिर्फ प्रभासाक्षी करता है

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घाटी में अशांति के दौरान तो सारा मीडिया वहां की घटनाओं को मसालेदार बनाकर प्रस्तुत कर रहा था लेकिन अब जब राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों का रूप ले चुका है और शांति के साथ-साथ विकास की मुख्यधारा से जुड़ने की हर कश्मीरी में चाहत जग चुकी है तो मीडिया में सन्नाटा है।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और 35-ए से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के खिलाफ बहुत-सी चेतावनियां केंद्र सरकार को दी गयी थीं लेकिन मोदी सरकार की कुशल रणनीति की सफलता कही जायेगी कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने से पहले पुख्ता प्रबंध किये गये ताकि कोई अप्रिय घटना नहीं होने पाये। 5 अगस्त को राज्य में कई प्रकार की पाबंदियां भी लगायी गयी थीं लेकिन अब घाटी में सिर्फ इंटरनेट पर प्रतिबंध के अलावा सबकुछ लगभग सामान्य हो चला है, वहां पर्यटक आ रहे हैं, सरकारी और निजी कार्यालय सामान्य रूप से खुल रहे हैं, सड़कों पर आवाजाही सामान्य रूप से चल रही है, स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई सामान्य रूप से चल रही है, विभिन्न सरकारी विभागों में भर्तियों का दौर चल रहा है जिसमें जम्मू-कश्मीर के सभी भागों से युवा बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। यही नहीं अब तो बाजार भी सामान्य रूप से खुल रहे हैं। परेशान सिर्फ वह लोग हैं जोकि पाकिस्तान परस्त हैं और अपनी गतिविधियां अब संचालित नहीं कर पा रहे हैं। कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूटना भी लगातार जारी है। यही कारण है कि जब-तब आतंकी घटनाओं से दहलती घाटी अब विकास की राह पर दौड़ना शुरू कर चुकी है।

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लेकिन यह बड़ा खेदजनक लगता है कि कश्मीर घाटी में अशांति के दौरान तो सारा मीडिया वहां की घटनाओं को मसालेदार बनाकर प्रस्तुत कर रहा था लेकिन अब जब राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों का रूप ले चुका है और शांति के साथ-साथ विकास की मुख्यधारा से जुड़ने की हर कश्मीरी में चाहत जग चुकी है तो मीडिया में सन्नाटा है। हिंदी हो या अंग्रेजी या फिर कोई अन्य भाषायी मीडिया, आपको भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम के अलावा कहीं और कश्मीर के विकास और राज्य के बदले-बदले सामाजिक माहौल की खबरें नहीं मिलेंगी।

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