उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के फैसले पर लगी रोक

[email protected] । Apr 22 2016 6:02PM

उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले पर 27 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी।

उच्चतम न्यायालय ने आज केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले पर 27 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि मामले की अगली सुनवायी तक उच्च न्यायालय के फैसले पर स्थगन रहेगा।

इस मामले में जहाँ केंद्र सरकार की मंशा पर लगातार सवाल उठे वहीं हरीश रावत भी सवालों के घेरे में आए क्योंकि गुरुवार को चार बजे उच्च न्यायालय का फैसला आया और फैसले की प्रति आने से पहले ही रात नौ बजे उन्होंने मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाल लिया और कैबिनेट की बैठक बुलाकर फैसले भी शुरू कर दिये। उच्चतम न्यायालय का केंद्र सरकार को यह कहना कि अगली सुनवाई तक वह राष्ट्रपति शासन हटाने पर विचार नहीं करे, से यह साफ है कि न्यायालय इस मामले में केंद्र की कार्रवाई को संदेह की नजर से देख रहा है।

इससे पहले केंद्र ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन खारिज करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा एवं न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र किया। महाधिवक्ता ने शुरूआत में कहा कि विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) आज सुबह दायर कर दी गई है लेकिन ‘‘हमारे पास फैसले की प्रति नहीं है’’ क्योंकि लिखित फैसला उपलब्ध नहीं है और केवल मौखिक फैसला सुनाया गया था।

महाधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि आज और सोमवार के बीच स्पष्ट रूप से समस्या पैदा होने की आशंका है। रोहतगी ने कहा, ‘‘मैं आज ही रोक लगाए जाने पर जोर देना चाहता हूं।’’ कांग्रेस के उन नौ विद्रोही विधायकों ने भी याचिका दायर की जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य करार दे दिया था। उन्होंने 29 अप्रैल को सदन में शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया से उन्हें दूर रखने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। महाधिवक्ता के साथ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह एवं तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी थे।

कांग्रेस पार्टी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तंखा मौजूद हुए। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 356 के तहत 27 मार्च को की गयी घोषणा के लिए केंद्र से नाराजगी जताते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को गुरुवार को निरस्त कर दिया और हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया था। अदालत ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को उखाड़ने के लिए केंद्र को फटकार लगाई थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रपति शासन लगाना उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है। रावत सरकार की बहाली का आदेश देते हुए अदालत ने कहा था कि अपदस्थ मुख्यमंत्री को अनिवार्य रूप से 29 अप्रैल को विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करना होगा।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़