हिमाचल कांग्रेस में बदलाव के लिये सुक्खू समर्थक विधायक सक्रिय

Rathaur and Sukhu

दरअसल, पार्टी में मौजूदा अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के खिलाफ माहौल बन रहा है। पार्टी का एक तबका मानता है कि चुनावों को देखते हुये पार्टी में बदलाव लाया जाना चाहिये। व लोकप्रिय चेहरे को पार्टी को कमान दी जानी चाहिये। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष में भी बदलाव लाया जाये। ताकि पार्टी की सत्ता में वापसी हो सके।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में चुनावी साल में कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर नेतृत्व को लेकर  शुरू हो गई है। पार्टी में इन दिनों अंदर खाते खासी उठापटक चली है। नेताओं की लंबी फेहरिस्त पार्टी पर कब्जा संभालने को बेताब है। कांग्रेस पार्टी में अगले सीएम के तौर पर सपना संजोये नेता जोड तोड में जुटे हैं। पार्टी में इस समय पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निधन के बाद नये नेता की तालाश जोरां पर है।

 

दरअसल, पार्टी में मौजूदा अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के खिलाफ माहौल बन रहा है। पार्टी का एक तबका मानता है कि चुनावों को देखते हुये पार्टी में बदलाव लाया जाना चाहिये। व लोकप्रिय चेहरे को पार्टी को कमान दी जानी चाहिये। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष में भी बदलाव लाया जाये। ताकि पार्टी की सत्ता में वापसी हो सके। पार्टी में यह सारी कवायद उस समय शुरू हुई, जब पिछले दिनों पार्टी आलाकमान के समक्ष दिल्ली में पार्टी के करीब एक दर्जन विधायक जुटे। व उन्होंने पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला से मिलकर एक सुर में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू को कमान देने की वकालत की।  सुक्खू को लोकप्रिय नेता के तौर पर देखा जाता है। जिसका जनाधार पूरे हिमाचल में है। 

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प्रदेश में हाल ही में संपन्न विधानसभा उपचुनाव के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 21 से बढ़कर 22 हो गई है। कोटखाई कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली है। अर्की व फतेहपुर पहले भी कांग्रेस की थी, उपचुनाव में भी बरकरार रही हैं। बताया जा रहा है कि इन 22 विधायकों में से इस वक्त पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू को आधे विधायक समर्थन दे रहे हैं। यानि सुक्खू के पास समर्थन है। सुक्खू समर्थक विधायकों में सुजानपुर से राजेंद्र राणा, कांगड़ा से पवन काजल, कुल्लू से सुंदर ठाकुर,उना से सतपाल रायजादा, अर्की से संजय अवस्थी, नालागढ़ से लखविंदर राणा,कुसुम्पटी से अनिरुद्ध सिंह, कोटखाई से रोहित ठाकुर व किन्नौर से जगत सिंह नेगी शामिल हैं।  लेकिन सुक्खू समर्थकों की यह सक्रियता नेता प्रतिपक्ष मुकेरू अगिनहोत्री को बैचेन कर रही है। उन्हों ने भी अपने आपको अगले सीएम के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया है।

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पिछली कांग्रेस सरकार में उद्योग मंत्री रहे मुकेश अग्निहोत्री के साथ मौजूदा समय में खुद को मिलाकर पांच विधायक हैं। जिनमें डलहौजी से विधायक आशा कुमारी, पालमपुर से आशीष बुटेल, श्री रेणुका जी से विनय कुमार व फतेहपुर से भवानी पठानिया शामिल हैं। लेकिन आशा कुमारी भी अपनी दावेदारी जता रही हैं। 

यही नहीं उनके बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह के बेटे शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य सिंह के साथ तीन विधायक हैं, उन्हें खुद को मिलाकर ये संख्या चार हो जाती है। विक्रमादित्य सिंह के पाले में आने वालों में रामपुर से नंदलाल, रोहडू से मोहन लाल ब्राक्टा व बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल गिने जाते हैं। इस तरह ये संख्या 19 हो जाती है। जबकि तीन विधायक ऐसे हैं जो अकेले ही चले हुए हैं, इनमें श्री नयना देवी से रामलाल ठाकुर, सोलन से कर्नल धनीराम शांडिल व शिलाई से हर्षवर्धन चौहान के नाम आते हैं। इनमें भी कर्नल धनीराम शांडिल अंदर खाते सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बताए जा रहे हैं, जबकि हर्षवर्धन चौहान का झुकाव भी सुक्खू के प्रति हो सकता है। कहा तो ये भी जा रहा है कि बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल भी सुक्खू की तरफ गलबहियां डाल रहे हैं। अब एक परेड तो पिछले दिनों दिल्ली में हो चुकी है, दूसरी होते-होते हो सकता है ये तीन विधायक भी ओपन होकर आ जाए। इसमें देखने वाली बात तो ये है कि इन सबमें सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले नंबर पर उभरकर सामने आए हैं, जो अपने साथ विधायकों का सबसे बड़ा नंबर जोड़ने में सफल हो पाए हैं।

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मुकेश अग्निहोत्री के साथ एक दिक्कत इस बात की है कि उनके साथ आशा कुमारी जुड़ी हुई हैं, वो स्वयं सीएम पद की कैंडिडेट हैं। लेकिन सुक्खू के साथ इस तरह की कोई दिक्कत नहीं है, वह अकेले ही अपनी टीम में सीएम पद के कैंडिडेट हैं। रही बात विक्रमादित्य सिंह की तो उनके साथ जो तीन विधायक हैं, वो दिवंगत वीरभद्र सिंह के वक्त से साथ हैं। उनमें रामपुर से नंदलाल व रोहडू से मोहन लाल ब्राक्टा को वीरभद्र सिंह का नाम साथ जोडकर रखना चुनावी मजबूरी हो सकती है। चूंकि दोनों के क्षेत्र में राजा परिवार का नाम चलता है। ऐसे में बड़सर से इंद्रदत लखनपाल के साथ ऐसी कोई मजबूरी नहीं दिख रही है। तो ये कांग्रेस के विधायकों की स्थिति है। यानी अगली परेड में सुक्खू खुद को जोडकर ये संख्या दस से 13 ना कर लें, इसमें कोई संशय नहीं दिख रहा है। लेकिन इस सबके बीच कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कहां है, कोई देख ही नहीं रहा। देखने वाली बात है कि क्या वह आसानी से अपना छोड देंगे। 

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