प्रियंका गांधी को यहां से चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं राहुल गांधी

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[email protected] । Mar 8 2019 6:11PM

हालांकि यह भी माना जा रहा है कि भविष्य में प्रियंका के चुनाव लड़ने पर सोनिया अपनी सीट उनके लिए खाली कर सकती हैं। सोनिया गांधी के चुनावी मैदान में एक बार फिर से उतरने को चुनाव के बाद गठबंधन की स्थिति से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

लोकसभा चुनाव बेहद पास है। एक या दो दिन में चुनाव आयोग तारीखों की भी घोषणा कर सकता है। तमाम पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों को लेकर रणनीति बनाने में लगी हुई हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने गुरुवार देर शाम अपने 15 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया। गुजरात में 4 नाम फाइनल हुए है जबकि यूपी में 11 नाम। इन नामों में राहुल और सोनिया गांधी का नाम तो है पर प्रियंका गांधी का नहीं। इसके बाद समर्थकों में नाराजगी है। पहले ऐसा कहा जा रहा था कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं, पर ऐसा हुआ नहीं। रायबरेली से सोनिया गांधी ही चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस की लिस्ट आने के बाद सबसे ज्यादा नाराजगी समर्थकों में है क्योकि प्रियंका गांधी का नाम नहीं है। सूत्रों कि मानें तो ऐसा कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी को फूलपुर या फिर फिर मुरादाबाद से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। हालांकि इस बात को लेकर अभी फैसला नहीं हो पाया है। कांग्रेस अभ भी उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद लगाई हुई है। 

इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में रायबरेली से अपनी शीर्ष नेता सोनिया गांधी को एक बार फिर उम्मीदवार बनाकर न सिर्फ उनके स्वास्थ्य एवं सक्रिय राजनीति से अलग होने की अटकलों पर विराम लगा दिया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार चुनाव नहीं लड़कर पूरी तरह प्रचार पर ध्यान केंद्रित करेंगी। दरअसल, कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची में उत्तर प्रदेश के लिए 11 नामों की घोषणा की गई जिनमें सोनिया और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम प्रमुख हैं। ये दोनों अपनी परंपरागत सीटों रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। पिछले कुछ समय से इस तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि स्वास्थ्य कारणों के चलते शायद सोनिया 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ें और उनकी जगह प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ें। लेकिन सोनिया के राययबरेली से लगातार पांचवीं बार चुनाव लड़ने से इन अटलों पर विराम लग गया।

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस रायबरेली और अमेठी की अपनी परंपरागत सीटों में किसी पर भी गांधी परिवार से इतर किसी उम्मीदवार को उतारकर जोखिम मोल नहीं लेना चाहती थी। ऐसे में उसने सोनिया गांधी को उतारने का फैसला किया। सोनिया गांधी के करीबी कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सोनिया जी हाल के समय में कुछ अस्वस्थ जरूर रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनके चुनाव लड़ने से न सिर्फ रायबरेली बल्कि कई दूसरी सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद होंगे। हमें इससे सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या गांधी परिवार से इतर किसी दूसरे कांग्रेस उम्मीदवार के लिए रायबरेली आसान रहता तो उन्होंने कहा, ‘‘शायद उसके लिए जनता की तरफ से वो प्रेम नहीं दिखता जो गांधी परिवार के लिए है।’’ सोनिया के चुनाव लड़ने से यह भी साफ हो गया कि अब प्रियंका लोकसभा चुनाव में प्रचार और पार्टी के संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

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हालांकि यह भी माना जा रहा है कि भविष्य में प्रियंका के चुनाव लड़ने पर सोनिया अपनी सीट उनके लिए खाली कर सकती हैं। सोनिया गांधी के चुनावी मैदान में एक बार फिर से उतरने को चुनाव के बाद गठबंधन की स्थिति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर चुनाव बाद कई राजनीतिक दलों को साथ लेने की जरूरत पड़ी तो सोनिया गांधी एक सक्रिय एवं कारगर भूमिका निभा सकती हैं।कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सोनिया गांधी का चुनाव लड़ना इस मायने में बेहद अहम है कि चुनाव बाद गठबंधन की परिस्थिति में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। 2004 जैसे हालात में वह एक बार फिर से विभिन्न दलों को एकसाथ ला सकती हैं।

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