खत्म हुआ रामलला का टेंटवास, चांदी के सिंहासन पर विराजे श्रीराम, बुलेटप्रूफ है अस्थायी मंदिर

Ayodhya
अभिनय आकाश । Mar 25 2020 1:11PM

27 साल तीन महीने और 20 दिन बाद भव्य राम मंदिर निर्माण का आज पहला चरण पूरा हो गया है। 27 साल बाद टेंट से बाहर निकलकर रामलला नवरात्रि के पहले दिन अस्थाई मंदिर में शिफ्ट हुए हैं। इस दौरान खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूजा अनुष्ठान में शामिल हुए।

रामायण की एक प्रसिद्ध चौपाई है - ''प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कोसलपुर राजा'' अर्थात् अयोध्या के राजा का स्मरण करते हुए या उन्हें हृदय में रखकर कोई भी कार्य किया जाए तो वो संपन्न होता है। अयोध्या के राजा भगवान रामलला को जब-जब उनके भक्त टेंट में विराजमान देखते तो एक टीस सी पैदा हो जाती थी। जेहन में सवाल होता था कि इतने मकानों के बीच टेंट में भगवान रामलला। 27 साल तीन महीने और 20 दिन बाद भव्य राम मंदिर निर्माण का आज पहला चरण पूरा हो गया है। 27 साल बाद टेंट से बाहर निकलकर रामलला नवरात्रि के पहले दिन अस्थाई मंदिर में शिफ्ट हुए हैं। इस दौरान खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूजा अनुष्ठान में शामिल हुए। उन्होंने मंदिर के लिए 11 लाख रूपए का चेक भी दिया है। इस दौरान रामलला चांदी के सिंहासन में विरादमान हुए।

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भगवान श्रीराम का चांदी का सिंहासन 9.5 किलो का है। मंत्र उच्चारण के साथ रामलला को स्थापित किया गया। सीएम योगी ने रामलला की आरती की और फिर गोरखपुर के लिए रवाना हो गए। इस दौरान रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, ट्रस्ट के सदस्य राजा बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, सदस्य अनिल मिश्रा, ट्रस्ट के महासचिव चपंत राय, दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास, अवनीस अवस्थी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद थे।

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बता दें कि कोरोना के डर के बीच सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए थे। पहले ये भी सूचना थी कि मुख्यमंत्री भी नहीं जाएंगे। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपना कार्यक्रम बदला और तय किया कि रामलला को अस्थायी मंदिर में विराजने के साक्षी बनेंगे। वहां पर मुख्यमंत्री ने पूजा-अर्चना के साथ ही 11 लाख रूपए का दान भी किया।  

1992 से टेंट में थे रामलला

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुई घटना के बाद भगवान रामलला की उसी वक्त स्थापना कर दी गई थी। हर रामनवमी को कलश स्थापना के साथ जन्मोत्सव मनाते हैं। लेकिन भक्तों की कमी बहुत खलती है। दर्शन की अवधि दोपहर 11 बजे से 1 बजे तक बंद रहती है, लिहाजा भक्त शामिल नहीं हो पाते हैं। 

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बुलेटप्रूफ अस्थायी मंदिर 

नया गर्भगृह बुलेटप्रूफ होने के साथ ही कई सुविधाओं से लैस हैं। रामलला के लिए जर्मन पाइन लकड़ी और कांच से अस्थायी मंदिर तैयार हो चुका है। इसमें चारों तरफ से बुलेटप्रूफ कांच लगा है। नया मंदिर 24X17 वर्ग फुट आकार के साढ़े 3 फुट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है। इसके शिखर की ऊंचाई 25 फुट है। भवन की खासियत है कि इसमें तापमान का असर नहीं पड़ता है।

जयपुर से बनकर आया सिंहासन

रामलला के लिए चांदी का सिंहासन अयोध्या के पूर्व राजपरिवार के उत्तराधिकारी बिमलेंद्र मोहन मिश्र ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपा।  इससे पहले रामलला लकड़ी के बने सिंहासन में 1992 में विराजमान थे। चांदी के सिहासन के पृष्ठ पर सूर्य देव की आकृति और दो मोर उत्कीर्ण किए गए हैं।

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