असम आंदोलन की हिंसा पर रिपोर्ट विधानसभा में होगी पेश, सीएम Himanta Biswa Sarma का बड़ा ऐलान

Himanta Biswa Sarma
ANI
Renu Tiwari । Nov 24 2025 8:29AM

असम आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए गठित गैर-सरकारी आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी, जिसे राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है; यह पहली बार होगा जब किसी निजी समिति की रिपोर्ट सदन में रखी जाएगी, जिससे आंदोलन के सभी पहलुओं की जानकारी सार्वजनिक होगी। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह घोषणा की, साथ ही विधानसभा में करीब 27 विधेयकों को भी पेश करने की बात कही, जिनमें चाय बागान श्रमिकों को भूमि पट्टा और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा परोपकारी विश्वविद्यालय की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को कहा कि 1983 में घुसपैठ विरोधी असम आंदोलन के दौरान हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए गठित गैर-सरकारी आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस आशय के प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यह पहली बार होगा कि गैर-सरकारी एजेंसियों द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी। विधानसभा का पांच-दिवसीय सत्र मंगलवार से शुरू होगा।

शर्मा ने मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने कहा है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) टी यू मेहता आयोग की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि लोगों को सभी पक्षों की जानकारी मिल सके।’’

आयोग का गठन मुक्ति जुझारु सम्मिलन और आंदोलनकारियों ने किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने गैर-सरकारी आयोग की रिपोर्ट को सदन में पेश करने की मंजूरी दे दी है, जिससे पहली बार निजी तौर पर गठित समिति के निष्कर्ष सदन में रखे जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने लगभग 27 विधेयकों को भी मंजूरी दे दी है, जिन्हें विधानसभा में रखा जाएगा। इनमें चाय बागान श्रमिकों को भूमि का पट्टा देना, अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा संचालित निजी शिक्षण संस्थानों के शुल्क का विनियमन और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा एक परोपकारी विश्वविद्यालय की स्थापना संबंधी विधेयक शामिल है।

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