ग्वालियर में बोले सिंधिया, कांग्रेस को आत्म चिंतन की जरूरत

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दिनेश शुक्ला । Oct 10 2019 10:47AM

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस बयान के अलग अलग मायने निकाले जा रहे है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि पार्टी वर्तमान में जिस हालात से गुजर रही है, उसमें आत्मचिंतन की जरूरत है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद के बयान के बाद जहां पार्टी बैकफुट पर आ गई है। तो वही यह भी साफ हो गया है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राहुल गांधी के चुनाव के समय विदेश दौरे को लेकर जहाँ विपक्ष लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रही थी वही सलमान खुर्शीद ने बयान देकर इसे और हवा दे दी है। सलमान खुर्शीद के बयान से ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद के सदमे से जूझ रही कांग्रेस में अंदरूनी घमासान अभी तक थमा नहीं है। वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि कांग्रेस पार्टी को आत्मचिंतन की जरूरत है। 

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस बयान के अलग अलग मायने निकाले जा रहे है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि पार्टी वर्तमान में जिस हालात से गुजर रही है, उसमें आत्मचिंतन की जरूरत है। ताकि उस पर क्रियान्वयन कर स्थिति को सुधारा जा सके। ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने मंगलवार को अपने बयान में कहा था कि कांग्रेस का सबसे बड़ा संकट यह है कि हमारे नेता राहुल गांधी हमें छोड़कर चले गए और सोनिया गांधी भी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर ही काम कर रही है। जबकि बुधवार को ग्वालियर में अपने निवास पर पत्रकारों से चर्चा के दौरान जब सलमान खुर्शीद के बयान पर उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होनें साफ तौर पर कहा कि मैं किसी के वक्तव्य पर कभी प्रतिक्रिया नहीं देता हूँ, लेकिन मेरा मानना है कि पार्टी को आत्म चिंतन करना चाहिए।

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कांग्रेस नेताओं के इन बयानों के बाद यह तो साफ हो गया है कि पार्टी में मची उतल पुथल और पार्टी हाई कमान के बीच की दूरियां बढ़ गई है। यही वजह है कि पार्टी नेता अब खुलकर बोलने लगे है। फिर चाहे सलमान खुर्शीद हो या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही नेता अपनी अपनी व्यथा को पार्टी फोरम पर न रखकर सार्वजनिक तौर पर पार्टी के अंदरूनी हालात बयां कर रहे है। जिसका असर महाराष्ट्र और हरियाण के विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।

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