सिंधिया समर्थक मंत्रियों के विभाग आवंटन को लेकर फंसा पेंच, टली कैबिनेट की बैठक

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे से मुलाकात की है। दोनों के बीच प्रदेश की राजनीतिक स्थिति और उपचुनाव को लेकर चर्चा हुई है। इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री ने भी सहस्रबुद्धे से मुलाकात की थी।
भोपाल। मध्य प्रदेश में शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के चार दिन बाद भी विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है। जबकि तीन दिनों से खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में डेरा डाले हुए है। हालंकि इस दौरान उन्होनें की केन्द्रीय मंत्रीयों से मिलकर प्रदेश में केन्द्रीय योजनाओं को लेकर बात की है तो वही प्रदेश की राजनीति से जुड़े मंत्रियों से वह विभागों के आवंटन को लेकर चर्चा कर रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार और सोमवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की है। जिसके चलते उन्हें भोपाल लौटने का कार्यक्रम भी दो बार बदलना पड़ा है। बीजेपी सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे से मिले और उसके बाद रात साढ़े आठ बजे से मध्य प्रदेश भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ लंबी बैठक की है।
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सूत्रों की माने तो बताया जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कुछ मंत्रियों को बड़े विभाग देने को लेकर खींचतान मची हुई है। मुख्यमंत्री वरिष्ठ मंत्रियों को उनके कद और अनुभव के हिसाब से विभाग देना चाहते हैं, जबकि सिंधिया समर्थक मंत्री वजनदार विभाग चाहते हैं। सिंधिया समर्थक मंत्री किसी भी सूरत में पूर्व कमलनाथ सरकार में मंत्रियों के पास जो विभाग थे, उनसे कमतर पर सहमत नहीं हैं। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिश यही है कि दोनों के बीच तालमेल बन जाए, ताकि आगे किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित न हो। यही वजह है कि उनका भोपाल वापस आने का कार्यक्रम दो बार टला है। पहले वह सोमवार को दोपहर बाद भोपाल पहुँच रहे थे लेकिन विभाग बंटवारे पर सहमति न बन पाने के चलते वह सोमवार रात को भी दिल्ली में ही रूक गए।
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वही दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे से मुलाकात की है। दोनों के बीच प्रदेश की राजनीतिक स्थिति और उपचुनाव को लेकर चर्चा हुई है। इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री ने भी सहस्रबुद्धे से मुलाकात की थी। वही विनय सहस्त्रबुद्धे ही मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों की लिस्ट केन्द्रीय नेतृत्व की सहमति के बाद लाए थे। जिसके बाद 28 मंत्रीयों ने शपथ ली थी। गुरूवार 02 जुलाई को मंत्रिमंडल की शपथ होने के बाद भी हुई कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रीयों को मंत्रालय में उनके कक्ष तो आवंटित हो गए लेकिन विभागों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। वही मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक भी इसी के चलते टल गई है।
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