शिवेश प्रताप की पुस्तक "जिंदगी की बात संस्कृत के साथ" का हुआ विमोचन

book release

समारोह के अध्यक्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर डॉ. चंदन कुमार, विशिष्टि अतिथि के रूप में शामिल हुए हंसराज कॉलेज, दिल्ली की प्राचार्य डॉ. रमा एवं प्रख्यात साहित्यकार श्री गिरीश पंकज, प्रख्यात कवि, आलोचक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष एवं भारतीय जनसंचार संस्थान के डायरेक्टर श्री संजय द्विवेदी ने पुस्तक का विमोचन किया।

मीडिया विमर्श के बैनर तले आज़ादी के अमृत महोत्सव के क्रम में देश की राजधानी नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्युसन क्लब में 16 अप्रैल को पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह 2022 कार्यक्रम में संतकबीरनगर में जन्मे एवं बांसी, सिद्धार्थनगर के तिलक इंटर कॉलेज में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले शिवेश प्रताप की पुस्तक "जिंदगी की बात संस्कृत के साथ" का विमोचन किया गया। यह पुस्तक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नए भारत की संकल्पना में देश के युवाओं को संस्कृत से जोड़ने के उद्देश्य को पूर्ण करती है।

इसे भी पढ़ें: सुलेमानिया के गवर्नर ने किया IIMC का दौरा, बोलो- सुलेमानिया में भी बसता है एक हिन्दुस्तान

समारोह के अध्यक्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर डॉ. चंदन कुमार, विशिष्टि अतिथि के रूप में शामिल हुए हंसराज कॉलेज, दिल्ली की प्राचार्य डॉ. रमा एवं प्रख्यात साहित्यकार श्री गिरीश पंकज, प्रख्यात कवि, आलोचक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष एवं भारतीय जनसंचार संस्थान के डायरेक्टर श्री संजय द्विवेदी ने पुस्तक का विमोचन किया। डॉ रमा ने अपने उद्बोधन में कहा की देश को शिवेश प्रताप जैसे युवाओं की आवश्यकता है जो समाज को संस्कृति से जोड़ने में सेतु का कार्य कर सकें। पुस्तक "ज़िंदगी की बात संस्कृत के साथ" हमारे जीवन से संबंधित 37 विषयों पर लिखे गए उत्कृष्ट एवं विचारशील लेखों तथा संस्कृत श्लोकों का सरलीकृत हिंदी अनुवाद के साथ संग्रह है। जीवन कौशल के विषयों पर आधारित इस पुस्तक का उद्देश्य आज के युवाओं को उत्कृष्ट जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कार से जोड़कर राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने का है।

इसे भी पढ़ें: जनसंपर्क अधिकारियों को संबोधित करते हुए बोले IIMC के DG- 'गवर्नमेंट' से 'गवर्नेंस' की तरफ बढ़ने की जरुरत

इस पुस्तक के लेखक शिवेश प्रताप एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर होने के साथ ही IIM कलकत्ता से प्रबंधन की शिक्षा प्राप्त कर प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय IT कंपनी में प्रबंधन सलाहकार के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। वह संत कबीर नगर जिले के देवरिया गंगा गांव के निवासी हैं और 2006 से नोएडा में रहते हैं। लेखक अंग्रेजी, जर्मन, संस्कृत और हिंदी भाषाओं में पारंगत हैं और पिछले 8 वर्षों से संस्कृत साहित्य एवं अन्य भारतीय आध्यात्मिक ग्रंथों के बहुभाषीय डिजिटलीकरण एवं प्रसार का कार्य कर रहे हैं। लेखक इस पुस्तक लेखन का श्रेय अपने पिताजी सिद्धार्थनगर जिले के प्रसिद्ध शिक्षाविद श्री नर्वदेश्वर सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, रतनसेन डिग्री कॉलेज बांसी सिद्धार्थनगर एवं माता मालती सिंह को देते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़