उपचुनावों में मतदाताओं को विकास के नाम से झूठ परोसने जा रही है शिवराज सरकार- सज्जन सिंह वर्मा

Sajjan Singh Verma
दिनेश शुक्ल । Aug 19 2020 10:48PM

उन्होंने अपने परिवार का 1857 की क्रांति का इतिहास दोहराया है। उनके क्षेत्र ग्वालियर की जनता उन्हें एक गद्दार के रूप में देख रही है। इसी तरह का लगातार फीडबैक मिलने के कारण तथा अपने गृह क्षेत्र के लोगों के विरोध की आशंका के चलते सिंधिया अभी तक 6 महीनों से ग्वालियर नहीं गए हैं।

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस वार्ता की और प्रदेश की शिवराज सरकार और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा। वर्मा ने अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर कहा कि आप सभी जानते हैं कि प्रदेश में शिक्षकों की क्या स्थिति है, लगातार अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर प्रदेश के सत्तर हजार से अधिक अतिथि शिक्षक सरकार के विरोध में प्रदर्शन तथा आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश की अपरिपक्व शिवराज सरकार इस दिशा में कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी याद दिलाना चाहता हूं कि उन्होंने अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण तथा वेतन के मुद्दे पर प्रदेश की सड़कों पर उतरने का की धमकी दी थी। वो कब उतरेंगे सड़कों पर ? आज प्रदेश में शिक्षकों की स्थिति अत्यंत खराब हो गई है कोरोना महामारी के चलते शिक्षकों को अपना पेट भरने तक की समस्या खड़ी हो गई है। महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी के चलते हमारे प्रदेश में बच्चों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों का क्या कसूर है ?  उनको किस बात की सजा शिवराज सरकार दे रही है ?  यदि सरकार अन्य कर्मचारियों को वेतन दे सकती है तो अतिथि शिक्षकों को क्यों नहीं ?  प्रदेश की नींव में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिक्षकों की प्रदेश में यह दशा होगी ऐसी कल्पना कभी नहीं की।

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पूर्व मंत्री वर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते सबसे ज्यादा  बुजुर्ग लोग बीमार हो रहे हैं ऐसे में उन्हें अस्पताल से मिलने वाली दवाइयां बंद करने से वह परेशान हो रहे हैं। बुजुर्ग पेंशन धारियों को जिला चिकित्सालय में सहित अन्य अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन कराना होता था उसके बाद उन्हें जांच के बाद दवाई दी जाती थी जबसे शिवराज सरकार सत्ता में आई है उसने बुजुर्गों को का सहारा बनने की बजाए उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया। लगभग ₹5000 करोड़ का सालाना बजट सरकार के द्वारा इस योजना के लिए आवंटित किया जाता रहा है, जिसे पिछले 5 महीनों से शिवराज सरकार ने बंद कर दिया है साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में पेंशन कार्ड भी बनना बंद हो गए जिससे अस्पतालों में पेंशन धारकों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा।

उन्होंने इंदौर में हमारी सरकार के समय में लोक निर्माण मंत्री रहते मैंने इंदौर में एलिवेटेड ब्रिज बनाने को मंजूरी दी, लगभग पांच सौ करोड़ की योजना बनाई जिससे इंदौर में इस ब्रिज को जल्दी बनाया जा सके, इसका टेंडर भी हो गया और हमने प्राइवेट नहीं सरकारी एजेंसी को काम सोंपा, लेकिन शिवराज ने इसमें भी अडंगा डाल दिया, वो इसके लिए हाई कोर्ट गए जिसमे कोर्ट ने विकास कार्य में बाधा बनने से मना कर दिया लेकिन विकास विरोधी शिवराज उच्चतम न्यायालय जाकर इस पर स्टे ले आये| ऐसी ही राजनीति कर शिवराज देवास के विकास में भी बाधा डाल रहे है।  वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि शिवराज सरकार द्वारा 5000 करोड़ से भी अधिक की लागत से भोपाल-इंदौर प्रायरिटी कॉरिडोर जो प्रस्तावित किया जा रहा है उसकी आवश्यकता ही नहीं है। भोपाल-इंदौर के बीच वर्तमान में जो फोरलेन रोड है उसे मात्र ₹1000 करोड़ रुपए की लागत से सिक्स लेन बनाया जा सकता है। सरकार के पास जमीन अधिग्रहण हेतु आवंटित 500 करोड़ रूपए वर्तमान में उपलब्ध है इसमें अतिरिक्त 500 करोड रुपए और मिलाकर वर्तमान रोड को ही सिक्स लेन रोड में परिवर्तित किया जा सकता है। जो नया मार्ग सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया है वह भाजपा के नेताओं तथा पूर्व अधिकारियों के द्वारा खरीदी हुई जमीनों के पास से बनाए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। मैं प्रदेश की जनता को यह हकीकत बताना चाहता हूं कि जो सड़क मात्र 500 करोड रुपए अतिरिक्त खर्च करने पर सिक्स लेन बनाई जा सकती है उसके लिए 5000 करोड़ से अधिक खर्च करना सरकार की मंशा पर तथा नियत पर सवालिया निशान लगाता है।

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पूर्व मंत्री वर्मा ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा के साथ डील करते समय प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर विकास की अनदेखी करने का आरोप लगाया, वही सिंधिया कमलनाथ सरकार द्वारा बनाई गई 4000 करोड़ की लागत से ग्वालियर से इंदौर की सड़क का भूमि पूजन मेरी मौजूदगी में शिवपुरी में करने आए। यह इस बात का पुख्ता सबूत है थी सिंधिया का विरोध किसलिए था ? साथ ही कमलनाथ सरकार में जो सिंधिया समर्थक मंत्री थे उनके क्षेत्रों में भी करोड़ों रुपए के विकास कार्य कमलनाथ सरकार ने 15 माह के अल्प समय में किए। कमलनाथ जी का प्रदेश के चहुंमुखी विकास को लेकर बनाया गया विजन था। जिसमें सभी क्षेत्रों को उन्होंने विकास के मॉडल पर आगे बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया। जिन क्षेत्रों में भाजपा के विधायक जीतकर आये उन जगहों पर भी बिना भेदभाव के विकास कार्यों को मंजूरी दी, इंदौर में एलआईजी से लेकर नौलखा तक फ्लाई ओवर की मंजूरी इसका एक उदाहरण है। 

उन्होंने कहा कि जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है वहाँ के भाजपा के संभावित प्रत्याशियों द्वारा आम जनता को प्रलोभन देने के लिए क्षेत्र के विकास की संभावित योजना बनाकर मतदाताओं को भ्रमित करने का कार्य किया जा रहा है। इन विधानसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों द्वारा लगभग 35 सौ करोड़ रुपए की योजनाएं बनाकर सरकार को दी है, जिसके लिए सरकार ने अभी मात्र ₹1000 की टोकन मनी का प्रावधान किया है। सरकार के पास इन कामों के लिए कोई बजट नहीं है यह साफ संकेत है कि सिर्फ मतदाताओं को बरगलाने के लिए इस तरह का घिनौना षड्यंत्र किया जा रहा है। उपचुनावों में जनता का रुझान देखकर शिवराज सरकार के होश उड़ गए हैं उन्हें अपनी हार सामने दिखाई दे रही है इसलिए वह इस तरह की झूठ के झूठ को परोस कर जनता का को अपने पक्ष में आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या विकास योजनाओं की जरूरत सिर्फ उन्हीं विधानसभा सीटों पर है जहां पर उपचुनाव होने हैं? क्या बाकी प्रदेश की जनता विकास नहीं चाहती।

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वर्मा ने प्रेस वार्ता के दौरान सिंधिया पर जमकर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जो हमेशा से ही अपने क्षेत्र ग्वालियर को लेकर कहते आए हैं कि यह मेरा घर है, वो कहेंगे की ग्वालियर की जनता से मेरा खून का रिश्ता है। मैं सिंधिया से यह पूछना चाहता हूं कि वह पिछले 6 महीनों से अपने घर क्यों नहीं गए?  सिंधिया के पास भोपाल जाने के लिए समय है, दिल्ली में रहने के लिए समय है, इंदौर आने के लिए समय है, लेकिन ग्वालियर जाने के लिए अपने घर जाने के लिए समय नहीं है। मैं आप सभी को यह बताना चाहूंगा की सिंधिया की छवि उनके क्षेत्र में ही “गद्दार” की बन गई है। उन्होंने अपने परिवार का 1857 की क्रांति का इतिहास दोहराया है। उनके क्षेत्र ग्वालियर की जनता उन्हें एक गद्दार के रूप में देख रही है। इसी तरह का लगातार फीडबैक मिलने के कारण तथा अपने गृह क्षेत्र के लोगों के विरोध की आशंका के चलते सिंधिया अभी तक 6 महीनों से ग्वालियर नहीं गए हैं।

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