Bakrid 2023 से पहले बकरों और भेड़ों की बिक्री में भारी गिरावट से व्यापारी निराश, आखिर चल क्या रहा है?

Bakra Eid 2023
Prabhasakshi

समय के साथ पर्व मनाने के तरीके हर धर्म में बदले हैं इसलिए बकरीद पर बकरा बाजार में सिर्फ कश्मीर ही नहीं बल्कि देश के अन्य भागों में भी कम ग्राहक देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा यह ट्रेंड भी देखने को मिला है कि बकरीद से एक दिन पहले बकरों की खरीददारी की जाती है।

बकरीद आने को है लेकिन इस बार बकरों का बाजार ठंडा पड़ा हुआ है। कश्मीर के बकरा बाजार में अमूमन बकरीद से एक सप्ताह पहले ही खरीददारों की अच्छी खासी भीड़ देखी जाती थी लेकिन समय के साथ-साथ लोगों का आकर्षण कम होता जा रहा है। कुछ पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि लोगों की सोच में परिवर्तन आया है तो दूसरी ओर बाजार में खरीददारों का इंतजार कर रहे व्यापारियों का कहना है कि लोगों के पास पैसे की कमी है इसी वजह से लोग बाजार नहीं आ रहे हैं। जबकि कुछ रिपोर्टें इस तरह की भी हैं कि समय के साथ पर्व मनाने के तरीके हर धर्म में बदले हैं इसलिए बकरीद पर बकरा बाजार में सिर्फ कश्मीर ही नहीं बल्कि देश के अन्य भागों में भी कम ग्राहक देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा हाल के दिनों में यह ट्रेंड भी देखने को मिला है कि बकरीद से एक दिन पहले बकरों की खरीददारी की जाती है ताकि व्यापारी घर जाने की जल्दी में जो दाम मिल जाये उस पर पशुओं को बेच दे।

प्रभासाक्षी संवाददाता ने श्रीनगर में बकरा व्यापारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि इस बार बाजार बहुत ठंडा है। हम आपको बता दें कि श्रीनगर के बकरा बाजार में अन्य प्रदेशों से भी व्यापारी बकरा बेचने आते हैं। राजस्थान के व्यापारी आशिक मोहम्मद हर साल ईद-उल-अजहा से पहले कुर्बानी के जानवर लेकर श्रीनगर आते हैं और कुछ ही दिन में उन्हें बेचकर घर वापस चले जाते हैं। हालांकि, इस साल ऊंची कीमतों के कारण खरीदारों की बेरुखी के चलते उनका इंतजार बढ़ता जा रहा है। मोहम्मद ने कहा, “मैं पांच साल से यहां आ रहा हूं। इस साल कारोबार बहुत मंदा है। लोग इन जानवरों को खरीदना चाहते हैं, लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण पहले जैसी खरीद नहीं हो रही।” उन्होंने कहा, “बीते वर्षों में मेरे जानवर दो दिन में बिक जाते थे। इस साल पांच दिन हो गए हैं और ज्यादातर जानवर नहीं बिके हैं।”

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पशु बाजार में कुछ व्यापारियों ने कहा कि वे अपने पशुओं को घाटे में बेच रहे हैं। कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में रहने वाले मोहम्मद शफी ने कहा कि वह अच्छे दामों की उम्मीद में, घर में पाले गए लगभग 35 जानवरों को बेचने लाए हैं। शफी ने कहा, “पिछले दो दिन में, मैंने केवल आठ से 10 जानवर ही बेचे हैं। इस साल कारोबार मंदा है। खरीदारों के पास जानवर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं।” जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लोलाब क्षेत्र के एक पशु व्यापारी अब्दुल माजिद ने कहा, “मैं अपने गृहनगर से 50 भेड़ यहां बेचने के लिए लाया था। मैंने उन्हें 330 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदा और लगभग उसी कीमत पर बेच रहा हूं। इस वजह से मुझे घाटा हो रहा है।”

हम आपको यह भी बता दें कि ईद-उल-अजहा का त्योहार बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार पर कुर्बानी देने की परंपरा सदियों पहले शुरू हुई थी जब पैगंबर इब्राहिम अल्लाह की राह में अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए थे।

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