कोटकपूरा पुलिस गोलीबारी मामले में एसआईटी ने प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ की

SIT questions Parkash Singh Badal

पंजाब के फरीदकोट में 2015 में हुई कोटकपुरा पुलिस गोलीबारी घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ की।

चंडीगढ़। पंजाब के फरीदकोट में 2015 में हुई कोटकपुरा पुलिस गोलीबारी घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ की। शिअद ने बादल से पूछताछ करने गई पंजाब पुलिस एसआईटी में एक गैर-सदस्य की मौजूदगी पर कड़ी आपत्ति जताई है। पंजाब पुलिस की एसआईटी यहां सेक्टर-चार स्थित बादल के सरकारी एमएलए फ्लैट में पहुंची और उनसे करीब ढाई घंटे तक पूछताछ की।

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एसआईटी टीम के साथ राज्य सरकार के अभियोजन निदेशक विजय सिंगला भी थे, जो बादल से पूछताछ के दौरान एसआईटी सदस्यों के साथ मौजूद रहे, लेकिन शिअद नेताओं ने दावा किया कि वह जांच दल के आधिकारिक सदस्य नहीं थे। बादल से पूछताछ के लिए गई एसआईटी के साथ सिंगला की मौजूदगी पर आपत्ति जताते हुए शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया कि उनके पास कोई आधिकारिक पद नहीं है और यह संकेत देता है कि कांग्रेस सरकार पूरे मुद्दे का राजनीतिकरण करने पर तुली हुई है। राज्य सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देश पर मई में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एल. के. यादव के नेतृत्व में कोटकपूरा पुलिस गोलीबारी घटना की जांच के लिए नई एसआईटी का गठन किया।

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बादल के आवास पर महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, दलजीत सिंह सहित शिअद के वरिष्ठ नेताओं के अलावा एसजीपीसी प्रमुख जागीर कौर भी मौजूद थीं। शिअद नेताओं ने संवाददाताओं से कहा कि बादल ने एसआईटी के साथ सहयोग किया, जैसा कि दो वर्ष पहले पूर्ववर्ती जांच दल के साथ किया था। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती एसआईटी के समय जांच ‘‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’’ थी और अब भी एजेंडा कथित तौर पर राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती रिपोर्ट को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इससे पहले एसआईटी ने अकाली दल के संरक्षक से मोहाली में 16 जून को पूछताछ के लिए समन भेजा था, लेकिन 93 वर्षीय बादल ने अपनी खराब तबीयत का हवाला देकर पूछताछ की तारीख बदलने का आग्रह किया था।

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के प्रधान सलाहकार हरचरण बैंस ने पहले कहा था, ‘‘पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल 22 जून को सुबह साढ़े दस बजे चंडीगढ़ स्थित सेक्टर-चार में अपने सरकारी एमएलए फ्लैट में एसआईटी के समक्ष पेश होंगे। बादल की तबीयत अब भी ठीक नहीं है, लेकिन देश के कानून का पालन करने वाला नागरिक होने के नाते वह अपने कानूनी एवं संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने की इच्छा रखते हैं।’’ फरीदकोट में 2015 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी और इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस गोलीबारी की घटना हुई थी। उस वक्त बादल प्रांत के मुख्यमंत्री थे। कोटकपूरा घटना के सिलसिले में 14 अक्टूबर 2015 और सात अगस्त 2018 को दर्ज दो प्राथमिकियों की जांच नई एसआईटी कर रही है। यह पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है।

पूर्ववर्ती एसआईटी ने 2018 में बादल से पूछताछ की थी। उस वक्त बादल ने कहा था कि एसआईटी ‘‘राजनीतिक रूप से प्रेरित है’’ और जांच उन्हें बदनाम करने का प्रयास है। उच्च न्यायालय ने पुलिस महानिरीक्षक कुंवर विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली पहली एसआईटी द्वारा नौ अप्रैल को सौंपी गई रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। अदालत के आदेश के बाद सिंह ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और सोमवार को वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में अमृतसर में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। ग्रेवाल ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने एसआईटी की पूर्ववर्ती रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। हमने कहा था कि कुंवर विजय प्रताप के नेतृत्व में पूर्ववर्ती एसआईटी का राजनीतिक एजेंडा है, जो समय से पहले सेवानिवृत्ति लेकर अधिकारी के एक दिन पहले आप में शामिल होने से साबित हो गया है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि नए एसआईटी के प्रमुख ‘‘एल. के. यादव को रातोंरात एडीजीपी बना दिया गया ताकि वह एसआईटी का नेतृत्व कर सकें...सरकार का एजेंडा न्याय देने का नहीं है बल्कि राजनीतिक है।’’ ग्रेवाल ने कहा, ‘‘यह भी आपत्तिजनक है कि सेवानिवृत्त अधिकारी विजय सिंगला को नए एसआईटी का हिस्सा बनाया गया है। वह एसआईटी से जुड़े हुए नहीं हैं। क्या यह साबित नहीं करता है कि सरकार राजनीति कर रही है? क्या उन्होंने उन्हें एसआईटी में शामिल करने के लिए अदालत की अनुमति ली।’’ चीमा ने आरोप लगाया, ‘‘कुंवर विजय प्रताप अमरिंदर सिंह और अरविंद केजरीवाल के अंडरकवर एजेंट के रूप में काम कर रहे थे, जो उनके आप में शामिल होने से साबित हो गया है।’’ पुलिस ने 2015 में फरीदकोट के बहबल कलां में इसी तरह के प्रदर्शन पर गोलीबारी की थी, जिसमें दो लोग मारे गए थे। उस मामले में अलग से जांच चल रही है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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