जेपी प्रशंसकों के लिए तीर्थयात्रा के समान है सिताब दियारा का दर्शन

Sitab Diyara
Sitab Diyara

जेपी के एक प्रशंसक और भोजपुर जिला निवासी सुरेंद्र सिंह हर साल समाजवादी नेता की जयंती (11 अक्टूबर) पर सिताब दियारा जरूर पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह (जयप्रकाश नारायण) सिताब दियारा से कैलिफोर्निया (अमेरिका) की यात्रा कर सकते हैं, तो मैं आरा (भोजपुर जिला मुख्यालय) से जेपी के गांव क्यों नहीं आ सकता?

सिताब दियारा। ‘जेपी’ के नाम से लोकप्रिय दिग्गज समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के प्रशंसकों के लिए सारण जिले में स्थित उनकी जन्मस्थली सिताब दियारा का दर्शन करना तीर्थयात्रा के समान है। जेपी के एक प्रशंसक और भोजपुर जिला निवासी सुरेंद्र सिंह हर साल समाजवादी नेता की जयंती (11 अक्टूबर) पर सिताब दियारा जरूर पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह (जयप्रकाश नारायण) सिताब दियारा से कैलिफोर्निया (अमेरिका) की यात्रा कर सकते हैं, तो मैं आरा (भोजपुर जिला मुख्यालय) से जेपी के गांव क्यों नहीं आ सकता? खादी का सफेद कुर्ता-पायजामा पहने सिंह ने कहा, ‘‘मुझे व्यक्तिगत रूप से जेपी से मिलने का मौका कभी नहीं मिला। मैंने 5 जून, 1974 को पटना के गांधी मैदान में उनका भाषण सुना और उनका अनुयायी बन गया। आज के तथाकथित समाजवादी नेताओं की तुलना में वह पूरी तरह अलग इंसान थे।’’ सिंह ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आठ अक्टूबर को यहां आए थे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज आए हैं। पूर्व सैनिक सिंह ने कहा, ‘‘आज ऐसा लग रहा है कि सभी राजनीतिक दल जेपी की विरासत का दावा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई भी उनकी विचारधाराओं का पालन करने के बारे में बात नहीं करता है। 

इसे भी पढ़ें: जेपी के शिष्यों ने अपनी विचारधारा त्याग कर कांग्रेस से हाथ मिलाया: लालू और नीतीश दोनों पर शाह का कटाक्ष

उन्होंने ‘संपूर्ण क्रांति’ का आह्वान किया था। जेपी भ्रष्टाचार मुक्त समाज देखना चाहते थे जहां उत्पीड़ितों को न्याय मिले। उन्होंने भूख मुक्त समाज के बारे में बात की... उनकी मृत्यु के 43 साल बाद भी कुछ भी नहीं बदला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कोई लेना-देना नहीं है कि आज कौन आ रहा है। मैं अभी आया हूं और जेपी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने जा रहा हूं।’’ गौरतलब है कि 1920 में 18 साल की उम्र में मैट्रिक (10वीं) की परीक्षा पास करके जेपी ने पटना में काम करना शुरू किया। उसी साल उन्होंने प्रभावती से विवाह किया। राष्ट्रवादी नेता मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के अंग्रेजी शिक्षा छोड़ने के आह्वान पर उन्होंने अपनी परीक्षा से मुश्किल से 20 दिन पहले पटना कॉलेज छोड़ दिया। उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित एक कॉलेज बिहार विद्यापीठ में प्रवेश लिया। महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में अपनी पत्नी प्रभावती को छोड़कर जयप्रकाश नारायण 1922 में बर्कले विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए कैलिफोर्निया (अमेरिका) रवाना हुए। अमेरिका में अपनी उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कई तरह के छोटे-मोटे काम यथा खेत, बूचड़खाने, कारखानों और खदानों में काम किए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


All the updates here:

अन्य न्यूज़