एनआईए चीफ ने कहा, घाटी में जमीनी हालात बदल चुके हैं, 2019 से पहले जैसी स्थिति नहीं आ सकती

nia chief kuldeep singh

पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों को टारगेट करके टारगेट किलिंग की कवायद शुरू की गई। इनका मकसद लोगों के अंदर डर, दहशत और घाटी में अशांति पैदा करना है, वे इस तरह से वे घाटी के माहौल को खऱाब करना चाहते हैं ताकि विघटनकारी शक्तियों का प्रादुर्भाव हो।

प्रेस विज्ञप्ति/इंडिया टीवी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख कुलदीप सिंह ने कहा है कि कश्मीर घाटी में आतंकी समूह अब हताश हो चुके हैं और अब वे बौखलाहट में अस्थिरता पैदा करने के लिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होनेवाले हैं।

इंडिया टीवी के रक्षा संवाददाता मनीष प्रसाद को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह बात कही। इसका प्रसारण रजत शर्मा के न्यूज़ शो 'आज की बात' में मंगलवार रात को हुआ। 

एनआईए चीफ कुलदीप सिंह, सीआरपीएफ के महानिदेशक भी हैं। उन्होंने कहा-'5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में फिर से शांति बहाल हुई और हालात सामान्य हुए। लेकिन अब आतंकियों ने भी अलग-अलग तरह की रणनीति बनाई है, इसमें से बहुत सारी चीजों से हम पहले ही निपट चुके हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों को टारगेट करके टारगेट किलिंग की कवायद शुरू की गई। इनका मकसद लोगों के अंदर डर, दहशत और घाटी में अशांति पैदा करना है, वे इस तरह से वे घाटी के माहौल को खऱाब करना चाहते हैं ताकि  विघटनकारी शक्तियों का प्रादुर्भाव हो। लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके है। अब 5 अगस्त 2019 से पहले वाली स्थिति वापस नहीं आ सकती, चाहे वे कुछ भी कर लें।  ये उनकी बौखलाहट है। उन्हें कोई और रास्ता नहीं मिल रहा तो निर्दोष लोगों को मार रहे हैं।'

कुलदीप सिंह ने कहा, 'अब इसमें कौन सी बहादुरी का काम है, ये तो कायरता है। लड़ना है तो सुरक्षा बलों से लड़ो। ये क्या बात हुई कि कोई गांव या शहर में पैदल जा रहा है, कोई कहीं जा रहा है और आपने उसको पकड़कर मार दिया। ये तो कायरता का काम है। कायरता के कामों को करके वे समाज में एक विघटनकारी परिस्थिति तैयार करना चाहते हैं लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए क्योंकि पब्लिक भी इन चीजों को समझती है।'

एनआईए के महानिदेशक ने कहा- 'अल्पसंख्यकों की टारगेट किलिंग तभी हो सकती है जब इनको कोई पनाह दे, कोई ओवरग्राउंड वर्कर हो या फिर कोई इनका हमदर्द हो। अब तक जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, द रेसिस्टेंस फ्रंट, अल बदर जैसे आतंकी समूह से मिलेजुले लोग जब कोई आतंकी गतिविधि करते हैं तो उसपर जम्मू कश्मीर पुलिस तो केस करती ही हैं, और जिसमें ऐसा लगता है कि कोई गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) का मामला है तो उसकी जांच के लिए वो भारत सरकार को लिखते हैं और एनआईए उसकी जांच करती है। लेकिन जो लोग आतंकी संगठन की गतिविधियों में लिप्त रहते हैं, प्लानिंग करते हैं, अबतक उनपर कोई मामला नहीं था। जब सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसीज ने सूचना शेयर की तो उसी के आधार पर भारत सरकार ने हमें ऐसे लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया। इसी आदेश के तहत हमलोगों ने ऐसे लोगों के खिलाफ 10 अक्टूबर को आपराधिक मामला दर्ज किया है।'

श्रीनगर में एक 'चाट' बेचनेवाले की हत्या करने वाले आतंकवादियों का वीडियो जारी करनेवाले इस्लामिक स्टेट के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की संभावना पर एनआईए चीफ ने कहा- 'बेशक, चुनौतियां तो हमेशा ही रहती हैं, लेकिन इन चुनौतियों से बहुत उपयोगी और रचनात्मक तरीके से निपटा जा रहा है। ये काउंटर प्रोपेगेंडा, काउंटर टेररिज्म और काउंटर सोशल मीडिया का हिस्सा हैं और लोग भी इसे समझते हैं। वे सोशल मीडिया को प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन एक निश्चित सीमा के बाद लोग भी उनको स्वीकार नहीं करते हैं। हम केवल मॉनिटर करके ये देखते हैं कि किस जगह पर ये कानून के विरूद्ध जा रहा है, और फिर हम कार्रवाई करते हैं। हम लोगों से भी ज्यादा खुफिया एजेंसियां इस पर निगरानी रखती हैं। ड्रोन की गतिविधि भी उनकी हताशा और बौखलाहट को दर्शाती है। जब वे किसी तरह से कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं तो ड्रोन के जरिए ड्रग्स और हथियार भेजने की कोशिश करते हैं।'

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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