त्योहारों में दाम न बढ़ें, इसलिए सीमित किया गया है चीनी का निर्यात : खाद्य सचिव

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खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने इस साल चीनी निर्यात को एक करोड़ टन तक सीमित रखने के निर्णय को सही ठहराया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि सरकार ने अक्टूबर-नवंबर के त्योहारी सीजन के दौरान चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतों में स्थिरता बनाए।

नयी दिल्ली। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने इस साल चीनी निर्यात को एक करोड़ टन तक सीमित रखने के निर्णय को सही ठहराया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि सरकार ने अक्टूबर-नवंबर के त्योहारी सीजन के दौरान चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के लिए ‘समय पर और एहतियाती’ उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि अन्य जिंसों की तुलना में चीनी की कीमतें ‘कहीं ज्यादा स्थिर’ हैं, लेकिन चीनी निर्यात पर अंकुश लगाने का निर्णय इस जिंस की वैश्विक कमी के बीच खुदरा कीमतों में किसी भी तरह की असामान्य वृद्धि को रोकने के लिए लिया गया है।

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पांडेय ने यह भी उल्लेख किया कि भारत इस साल दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक के रूप में उभरा है। उत्पादन के मामले में भारत ने ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है। ब्राजील को साल उत्पादन में कमी का सामना करना पड़ा है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक भी है। सरकार ने 24 मई को चालू विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी निर्यात को एक करोड़ टन तक सीमित रखने की अधिसूचना जारी की है। एक जून से 31 अक्टूबर के बीच विशेष अनुमति के साथ निर्यात की अनुमति दी जाएगी।

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मीडिया को संबोधित करते हुए खाद्य सचिव ने कहा, ‘‘चीनी निर्यात 2016-17 के लगभग 50,000 टन से बढ़कर इस वर्ष एक करोड़ टन हो गया है। इस बात को दिमाग से निकाल दें कि यह किसी तरह की रोक है।’’ उन्होंने कहा कि इस साल देश का चीनी निर्यात अबतक का सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पहले ही 90 लाख टन चीनी का अनुबंध हो चुका है, जिसमें से 75 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है। विपणन वर्ष 2020-21 में चीनी का निर्यात रिकॉर्ड 70 लाख टन रहा था। उन्होंने कहा कि अक्टूबर-नवंबर के त्योहारी सत्र के दौरान चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो नए चीनी विपणन वर्ष की शुरुआत भी है और उस समय चीनी की घरेलू मांग पुराने स्टॉक से पूरी की जाती है।

उन्होंने कहा कि चालू विपणन वर्ष के अंत में लगभग 60-62 लाख टन चीनी का पिछला बचा स्टॉक होगा, जो अक्टूबर-नवंबर में घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्राजील में कमी होने के कारण चीनी की वैश्विक उपलब्धता कम है और इस पृष्ठभूमि के मद्देनजर घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबंध लगाना जरूरी था। पांडेय ने यह भी कहा कि चीनी निर्यात पर प्रतिबंध ‘समय पर लिया गया फैसला और एहतियाती कदम’ है क्योंकि उद्योग निकाय इस्मा को भी लगता है कि इस साल एक करोड़ टन से अधिक चीनी का निर्यात नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में अन्य वस्तुओं की तुलना में चीनी की थोक और खुदरा दोनों बाजारों में कीमतें कहीं अधिक स्थिर हैं। चीनी निर्यात पर प्रतिबंध सट्टेबाजी और बेवजह की मूल्यवृद्धि को रोकेगा।

उन्होंने कहा कि चीनी की मिल पर कीमतें 32-33 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रही हैं, खुदरा कीमतें क्षेत्र के आधार पर 33-44 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हैं। एथनॉल के लिए 35 लाख टन गन्ने कोस्थानांतरित करने के बाद चीनी का उत्पादन इस साल दुनिया में सबसे ज्यादा 3.55 करोड़ टन है। चीनी की 2.78 करोड़ टन की घरेलू जरूरत की तुलना में इसकी उपलब्धता कहीं अधिक है। पांडेय ने एथनॉल बनाने के लिए गन्ने को भेजने और निर्यात करने से चीनी मिलों को विपणन वर्ष 2021-22 में गन्ना बकाया राशि का 85 प्रतिशत यानी 1,09,283 करोड़ रुपये किसानों को वापस चुकाने में मदद मिली है। पिछले दो साल में गन्ने का बकाया कम हो गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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