तनोट क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा

पाकिस्तान की सीमा से सटे विख्यात तनोट मंदिर और तनोट क्षेत्र को अब 25 करोड़ रूपये की लागत से पर्यटन के नए स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

जैसलमेर। पाकिस्तान की सीमा से सटे विख्यात तनोट मंदिर और तनोट क्षेत्र को अब 25 करोड़ रूपये की लागत से पर्यटन के नए स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इस जगह पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत से जुड़ी यादों को चिरस्थायी बनाने के लिए संग्रहालय भी बनेगा। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) राजस्थान सीमांत जोधपुर के महानिरीक्षक बीआर मेघवाल ने कहा कि जैसलमेर जिले का सीमावर्ती तनोट मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पहले से ही आस्था का प्रमुख स्थल है। तनोट को धार्मिक पर्यटन से जोड़ते हुए उसे पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय के गौरवशाली स्मारक के तौर पर विकसित किए जाने की योजना है।

बीएसएफ के महानिदेशक के.के. शर्मा ने तनोट और लोंगेवाला क्षेत्र को नए पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिहाज से प्रस्ताव भिजवाया था जिसे केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है। यही नहीं, तनोट को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए करीब 25 करोड़ की राशि भी स्वीकृत की गई है। मेघवाल ने बताया कि तनोट क्षेत्र में एक विशाल संग्रहालय पार्क के साथ विकसित किया जाएगा। इस अनूठे संग्रहालय में पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत और उससे जुड़े अविस्मरणीय तथ्यों तथा दस्तावेजों को प्रस्तुत किया जाएगा। जैसलमेर जिले के सरहदी क्षेत्र में स्थित तनोट माता का मंदिर 1200 साल पुराना है। तनोट को भाटी राजपूत राव तनुजी ने बसाया था। प्रारंभ में यहां ताना माता का मंदिर बनवाया था, जो अब तनोटराय मातेश्वरी के नाम से विख्यात है। मन्दिर की पूजा-अर्चना सीमा सुरक्षाबल के जवान करते हैं। युद्ध में मंदिर के आसपास पाकिस्तान ने करीब तीन हजार बम बरसाए, लेकिन वे फटे ही नहीं। ये बम आज भी तनोट माता मंदिर परिसर में मौजूद हैं। सीमा सुरक्षा बल के अनुसार पर्यटक संग्रहालय से सटे पार्क में कैफे में पिकनिक का भी लुत्फ उठा सकेंगे।

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