असम में तरुण गोगोई थे कांग्रेस का मुख्य चेहरा, गौरव गोगोई को अब आगे ला सकती है कांग्रेस

Tarun Gogoi
अभिनय आकाश । Nov 24 2020 8:17PM

असम में पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। तरुण गोगोई के निधन से कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक नुकसान हो सकता है। असम में पूर्व सीएम की मौत के बाद कांग्रेस के वापसी की उम्मीदों को फिलहाल ब्रेक लगता महसूस हो रहा है।

मैं कांग्रेस का आदमी हूं और अपने जीवन की अंतिम सांस तक कांग्रेस का आदमी ही रहूंगा। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने एक बार यह बात कही थी और वह जीवन के अंतिम समय तक अपने इन शब्दों पर कायम रहे। असम में पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। तरुण गोगोई के निधन से कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक नुकसान हो सकता है। गोगोई के निधन से सूबे में कांग्रेस ने न सिर्फ अपना अभिभावक खोया अपेतु बीजेपी के खिलाफ गठबंधन के आकार लेने की कवायद को भी करारा झटका लगा है। असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस तरुण गोगोई के जरिए बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन तैयार कर रही थी। 

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तरुण गोगोई के बेटे को मिल सकती है कमान

असम में पूर्व सीएम की मौत के बाद कांग्रेस के वापसी की उम्मीदों को फिलहाल ब्रेक लगता महसूस हो रहा है। तरुण गोगोई के बेटे और लोकसभा सांसद गौरव गोगोई को लाइमलाइट में लाने की कवायद इसी साल अगस्त के महीने में शुरू हो गई थी। जब लोकसभा में विपक्ष के उपनेता के पद पर गौरव गोगोई की नियुक्ति हुई थी। गोगोई के पूर्व वित्त मंत्री नीलमणि सेन डेका ने कहा, "नेता हमेशा लोगों द्वारा चुने जाते हैं और तरुण गोगोई असम में उन सभी में सबसे ऊंचे थे।

कांग्रेस को मजबूती देने का किया था काम

वर्ष 2001 में पहली बार असम की बागडोर संभालने पर उन्होंने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि वह पांच साल तक पदस्थ रहेंगे, लेकिन उन्होंने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि उनकी लोकप्रियता इतनी हो जाएगी कि वह लगातार तीन बार मुख्यमंत्री के पद पर रहेंगे। तीन बार के कार्यकाल में गोगोई ने असम को कई उपलब्धियां दिलाईं। वह खूंखार उल्फा सहित विभिन्न उग्रवादी संगठनों को बातचीत की मेज पर लेकर आए और संकटग्रस्त राज्य को फिर से विकास की पटरी पर भी लेकर आए। गोगोई को अपने तीसरे कार्यकाल में पार्टी के भीतर असंतोष का सामना करना पड़ा जिसका नतीजा अंतत: 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्ता से अपदस्थ होने के रूप में निकला। असंतोष का नेतृत्व कांग्रेस के दिग्गज नेता हिमंत बिस्व सरमा ने किया जिनकी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा थी, लेकिन गोगोई मंत्रालय में फेरबदल कर लगातार पद पर बने रहे। इसके बाद, सरमा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अपने करीबी नौ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। इससे गोगोई और कांग्रेस दोनों का तगड़ा झटका लगा। छह बार सांसद रहे अविचलित गोगोई विपक्ष के नेता के रूप में खड़े रहे। उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ तथा राष्ट्रीय नागरिक पंजी से संबंधित मुद्दों पर आवाज उठाई। गोगोई दो बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। उनके व्यक्तित्व में दुर्लभ राजनीतिक कुशाग्रता नजर आती थी। एनडीएफबी (एस) से संबंधित और बोडो-मुस्लिम संघर्ष संबंधी हिंसा की छिटपुट घटनाओं को छोड़कर गोगोई के तीसरे कार्यकाल में अपेक्षाकृत शांति रही। गोगोई ने असम की बागडोर पहली बार 17 मई 2001 को असम गण परिषद से संभाली थी। 

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