कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश में टीम भावना से हो रहा है कार्य: योगी

Yogi

मुख्‍यमंत्री द्वारा सात निजी मेडिकल कॉलेजों-हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बाराबंकी, इण्टीग्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ, रामा मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट हापुड़, एफएच मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल फिरोजाबाद, टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज लखनऊ, हैरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज वाराणसी, मुज़फ़्फरनगर मेडिकल कॉलेज मुज़फ़्फरनगर में बीएसएल-2 लैब एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी तथा मेयो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बाराबंकी में एफेरेसिस फैसिलिटी का शुभारम्भ किया गया।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश में टीम भावना से कार्य हो रहा है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सोमवार को पांच कालिदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास से कोविड-19 और डेंगू के उपचार के लिए राजकीय एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में नव स्थापित बीएसएल लैब तथा एफेरेसिस व केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का लोकार्पण/शुभारम्भ वर्चुअल माध्यम से किया। मुख्‍यमंत्री द्वारा सात निजी मेडिकल कॉलेजों-हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बाराबंकी, इण्टीग्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ, रामा मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट हापुड़, एफएच मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल फिरोजाबाद, टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज लखनऊ, हैरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज वाराणसी, मुज़फ़्फरनगर मेडिकल कॉलेज मुज़फ़्फरनगर में बीएसएल-2 लैब एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी तथा मेयो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बाराबंकी में एफेरेसिस फैसिलिटी का शुभारम्भ किया गया। राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज में बीएसएल-3 लैब, राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रयागराज में एफेरिसिस फैसिलिटी, राजकीय मेडिकल कॉलेज आगरा व कानपुर में केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी, राजकीय मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में एफेरेसिस फैसिलिटी एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी, स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय फिरोजाबाद में एफेरेसिस फैसिलिटी एवं केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का लोकार्पण किया गया। योगी कुल 17 परियोजनाओं का ऑनलाइन लोकार्पण करने के बाद कहा कि पिछले आठ महीने से पूरी दुनिया एक महामारी से जूझ रही है। सदी की पहली महामारी होने के कारण हर तबके ने इस महामारी के साथ एक नया अनुभव साझा किया और समाधान का मार्ग निकाला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक इसका कोई टीका नहीं आ जाता है, तब तक सतर्कता और बचाव ही इसका उपचार है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर पूरे विश्व में शोध कार्य चल रहा है और देश में हो रहे शोधों से सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। प्लाज्मा थेरेपी के सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं, इसलिए इसे प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। उन्‍होंने कहा, ‘‘हम सबने इन चुनौतियों को अवसर में बदलने के साथ ही धैर्य से मुकाबला किया है। अन्‍तर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों ने भी कोविड-19 के मैनेजमेंट को लेकर उत्‍तर प्रदेश के प्रबंधन की मुक्‍त कंठ से प्रशंसा की है। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन तथा केंद्र और राज्‍य सरकार के समन्वित प्रयास से संभव हो सका है। प्रदेश में शासन प्रशासन की टीम ने बेहतर परिणाम लाने में सफलता हासिल की है।’’ योगी ने कहा कि अब तक कोविड-19 के एक करोड़ 80 लाख से ज्‍यादा नमूनों की जांच की जा चुकी है जो एक रिकार्ड है। उन्‍होंने कहा कि कोविड-19 का पहला केस यहां आया तो हमारे पास बेड और जांच की सुविधा नहीं थी लेकिन प्रयास शुरू हुए और पहले प्रतिदिन 72 जांच करने की क्षमता थी लेकिन कल एक दिन में एक लाख 45 हजार नमूनों की जांच हुई। 

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योगी ने कहा कि ह‍म लोगों ने न केवल कोविड-19 प्रबंधन को आगे बढ़ाया है बल्कि पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों पर भी प्रभावी नियंत्रण किया है। योगी ने कहा, ‘‘जब मैं 1998 में सांसद बना तो गोरखपुर के जिस मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस से सालाना 800 से 1500 मौत होती थी वहां इस बार सिर्फ 21 मौत हुई है। आगे वह भी न हो इसके लिए प्रयास चल रहा है।’’ ज्ञातव्य है कि प्रदेश में सरकारी क्षेत्र के 258 तथा निजी क्षेत्र के 132 लैब के साथ कुल 390 लैब कोविड-19 जांच के लिए उपलब्ध हैं। प्रदेश में उपचार की इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए एफेरेसिस सुविधा का उदघाटन किया गया है। एफेरेसिस प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है, जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हुए मरीज़ों के शरीर से प्लाज्मा एफेरेसिस विधि द्वारा एण्टीबॉडी लेकर कोविड-19 के गंभीर मरीज़ों को चढ़ाई जाती है। प्लाज्मा एफेरेसिस की प्रक्रिया केवल एफेरेसिस मशीन द्वारा ही संभव है। इसके साथ-साथ एफेरेसिस मशीन द्वारा प्लेटलेट्स एफेरेसिस भी किया जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा डेंगू के गंभीर मरीज़ों हेतु आवश्यक प्लेटलेट्स उचित मात्रा में एवं सुरक्षित रूप से निकाली जाती है, जिससे कि मरीज़ों की जान बचाई जा सके। इसे सिंगल डोनर प्लेटलेट्स भी कहते है, जो कि एफेरेसिस मशीन द्वारा ही संभव है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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