टेक्स्टबुक में दहेज प्रथा के गुणों और लाभों को पढ़ाना दुर्भाग्यपूर्ण, प्रियंका चतुर्वेदी ने धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर की कार्रवाई की मांग
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर टेक्स्टबुक ऑफ सोशियोलॉजी फॉर नर्सेज से दहेज प्रथा के गुणों और लाभों को बताने वाले पाठ को हटाने की मांग की है। उन्होंने धर्मेंद्र प्रधान से सख्त कदम उठाने का अनुरोध करते हुए यह सुनिश्चित करने का कहा कि भविष्य में ऐसी महिला विरोधी सामग्री को न तो पढ़ाया जाए।
मुंबई। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से टेक्स्टबुक ऑफ सोशियोलॉजी फॉर नर्सेज से दहेज प्रथा के गुणों और लाभों को बताने वाले पाठ को हटाने की मांग की है। यह टेक्स्टबुक बीएससी द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि टेक्स्टबुक में बताए गए तथाकथित फायदे में से एक कहता है कि दहेज के बोझ के कारण कई माता-पिता ने अपनी लड़कियों को शिक्षित करना शुरू कर दिया है। जब लड़कियां शिक्षित होंगी या नौकरी भी करेंगी तो दहेज की मांग कम होगी। इस प्रकार यह एक अप्रत्यक्ष लाभ है।
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Smt.@priyankac19 writes letter to the Education Minister, Govt. of India raising concerns about the regressive content on the Dowry system in the book 'Textbook of Sociology for Nurses'. pic.twitter.com/hFj3G2l2FN
— Office Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@Priyanka_Office) April 4, 2022
उन्होंने कहा कि एक अन्य तथाकथित फायदे में बताया गया है कि एक बदसूरत लड़की दहेज के दम पर किसी हैंडसम लड़के से शादी कर सकती है। यह भयावह है कि इस तरह के अपमानजनक और समस्याग्रस्त पाठ प्रचलन में हैं और दहेज के गुणों का विस्तार करने वाली टेक्स्टबुक वास्तव में हमारे पाठ्यक्रम में मौजूद हो सकती है जो राष्ट्र और उसके संविधान के लिए शर्म की बात है।
शिवसेना सांसद ने इस मामले को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि एक आपराधिक कृत्य होने के बावजूद दहेज को लेकर हमारे पास इस तरह के पुराने विचार प्रचलित हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि छात्रों को इस तरह की सामग्री से अवगत कराया जा रहा है जो चिंताजनक है और अब तक कोई कार्रवाई भी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा का ऐसा सुदृढ़ीकरण आपत्तिजनक है और इस पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
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शिवसेना सांसद ने धर्मेंद्र प्रधान से इस संबंध में सख्त कदम उठाने का अनुरोध करते हुए यह सुनिश्चित करने का कहा कि भविष्य में ऐसी महिला विरोधी सामग्री को न तो पढ़ाया जाए और न ही प्रचारित किया जाए।
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