मानव जाति के सामने अस्तित्व का सवालः कर्ण सिंह
कश्मीर में चल रही अशांति और हाल के समय में कुछ जातियों पर अत्याचार किए जाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए कर्ण सिंह ने एक कार्यक्रम में हिंसा के ‘‘विनाशकारी’’ प्रभावों पर प्रकाश डाला।
कश्मीर में चल रही अशांति और हाल के समय में कुछ जातियों पर अत्याचार किए जाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में हिंसा के ‘‘विनाशकारी’’ प्रभावों पर प्रकाश डाला। अहिंसा पर एक किताब का विमोचन करते हुए शुक्रवार रात उन्होंने कहा, ‘‘अगर अब भी हमारे पास ऐसा समाज है जो दूसरे देशों या दूसरे धर्मों के बारे में अपने बच्चों को घृणा का पाठ पढ़ाता है तो आप उनसे अहिंसक स्थिति में बड़े होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?’’
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जारी ‘‘क्षेत्रीय’’ हिंसा को देखते हुए मानव जाति के अस्तित्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कश्मीर के अंतिम राजा हरि सिंह के पुत्र कर्ण सिंह ने अपने भाषण में कश्मीर में जारी अशांति और देश में जाति अत्याचार की हाल की घटनाओं का भी जिक्र किया। कर्ण सिंह ने कहा, ‘‘हमने विनाश के हथियार की खोज कर ली है। मानव जाति का अस्तित्व रहेगा या नहीं यह सवाल अब भी बना हुआ है क्योंकि दो बड़े खतरे- अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद या जलवायु परिवर्तन में से कोई एक इसका खात्मा करने के लिए काफी है।’’
उन्होंने एक किताब के विमोचन के दौरान ये बातें कहीं जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधीवादी कार्यकर्ता नीलकंठ राधाकृष्णन भी मौजूद थे। कर्ण सिंह ने कहा, ‘‘क्या हिटलर को अहिंसा से हराया जा सकता था? क्या आईएसआईएस को अहिंसा से परास्त किया जा सकता है? हमें अपने आसपास की वास्तविकताओं का सामना करना होगा। हमने अपने कार्यक्रमों और चेतना में बदलाव लाना होगा ताकि इन कारकों का संज्ञान ले सकें।’’ पुस्तक ‘गिव नॉनवायलेंस अ चांस’ के बारे में मनमोहन सिंह ने कहा कि यह राधाकृष्णन की ‘‘अद्भुत’’ शांति पहल को उजागर करता है।
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