दिल्ली में इन कारगर कदमों की वजह से घटे संक्रमण के मामले, नहीं तो 4 हजार तक आने लगे थे केस !

Covid-19

दिल्ली में रोजाना हो रही टेस्टिंग दूसरे किसी भी राज्य में हो रही टेस्टिंग से ज्यादा है। इनमें एटीजन टेस्ट भी शामिल हैं। केजरीवाल सरकार का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करने से संक्रमित मरीजों की पहचान हो सकेगी।

नयी दिल्ली। कोरोना महामारी के लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच राजधानी दिल्ली में रोजाना आ रहे संक्रमण के मामलों में कमी देखी गई है। जहां रोजाना 3 से 4 हजार तक मामले सामने आना शुरू हो गए थे वहीं अब इनकी संख्या में तेजी से गिरावट देखी है और अब 1500 से 2,000 मामले दर्ज किए जा रहे हैं। जब राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों ने तेजी पकड़ी तो खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला और दिल्ली सरकार के साथ मिलकर रणनीतियां बनाई तो चलिए हम आप को दिल्ली मॉडल से जुड़े पहलुओं के बारे में स्पष्ट जानकारी मुहैया कराते हैं।

टेस्टिंग

जहां दिल्ली में जून के पहले सप्ताह में 5500 के करीब कोरोना संक्रमण के मामलों की जांच की जा रही थी उन्हें अब बढ़ाकर 22 हजार से लेकर 24 हजार तक कर दिया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले ही साफ कर दिया था कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर ध्यान दिया जाए। 

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बता दें कि दिल्ली में रोजाना हो रही टेस्टिंग दूसरे किसी भी राज्य में हो रही टेस्टिंग से ज्यादा है। इनमें एटीजन टेस्ट भी शामिल हैं। केजरीवाल सरकार का मानना है कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करने से संक्रमित मरीजों की पहचान हो सकेगी और उन्हें आइसोलेट किया जाए ताकि संक्रमण अन्य व्यक्तियों तक न पहुंचे। जून के शुरुआती समय में हो रही कोरोना जांच में करीब 35 फीसदी लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही थी लेकिन अब इनकी तादाद घटकर 9 से 10 फीसदी हो गई है।

घर-घर हो रही स्क्रीनिंग

दिल्ली सरकार ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि कंटेनमेंट जोन को लेकर कोई ढिलाई न बरती जाए। उन्होंने उक्त अधिकारियों से कहा कि जिन इलाकों से भी केस आ रहे हैं वहां पर गाइडलाइन्स के अनुसार कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाए। बता दें कि कंटेनमेंट जोन वाले इलाकों में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग की जा रही है और जरूरत पड़ने पर मेडिकल टीम कोरोना जांच भी कर रही है। हालांकि लगातार दिल्ली में कंटेनमेंट जोन की संख्या में इजाफा हो रहा है। 

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होम आइसोलेशन

केजरीवाल सरकार ने होम आइसोलेशन पर ध्यान दिया और इसमें कामयाबी भी मिल रही है। जहां एक समय तक दिल्ली में कोरोना के अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड नहीं मिल रहे थे वहीं अब बेड खाली हैं। दिल्ली सरकार ने होम आइसोलेशन के लिए केंद्र द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स को अपने मॉडल में शामिल किया। जिसकी बदौलत हजारों लोग अपना सफल इलाज करवा चुके हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के मौजूद एक्टिव केसों में से आधे केस तो होम आइसोलेशन में अपना इलाज करवा रहे हैं। इसके लिए दिल्ली सरकारी की मेडिकल टीम लगी हुई है। इस दौरान मेडिकल टीम होम आइसोलेशन के दौरान मरीज की तबीयत बिगड़ने पर उसे तुरंत ही अस्पताल में शिफ्ट कर रही है और मरीजों की काउंसलिंग भी हो रही है। 

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बेडों की तादाद बढ़ाई

एक समय था जब कोरोना अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड खाली नहीं था इस समस्या को देखते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार ने केंद्र की मदद से होटलों, बैंक्वेंट हॉल, राधा स्वामी सत्संग परिसर, कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए बेडों की सुविधा उपलब्ध करा दी।

मिली जानकारी के मुताबिक जून के पहले सप्ताह तक 8 निजी अस्पतालों में कोरोना के 700 और सरकारी अस्पतालों में 2500 के करीब बेड खाली थे और ज्यादातर मरीज निजी अस्पतालों का रुख कर रहे थे। ऐसे में सरकार ने 50 से अधिक बेड क्षमता वाले अस्पतालों के 40 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए। जिसके चलते निजी अस्पातालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की क्षमता बढ़कर 5 हजार हो गई। 

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प्लाज्मा बैंक की शुरुआत

प्लाज्मा के जरिए कोरोना मरीजों के ठीक होने की उम्मीदों के चलते एलएनजेपी अस्पताल में इस थेरेपी का ट्रायल किया गया और नतीजे संतोषजनक दिखाई दिए। जिसके बाद केजरीवाल सरकार ने देश के पहले प्लाज्मा बैंक का उद्घाटन किया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोविड-19 के मरीज ठीक होने के 14 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि वायरस से ठीक हुए लोग 1031 नंबर फोन करें या 8800007722 नंबर पर व्हाट्सएप कर सकते हैं। प्लाज्मा दान करने वालों को एक प्रशस्ति पत्र भी दिया जाएगा। बता दें कि सरकार ने इस प्लाज्मा बैंक को सरकारी संस्थान ‘ इंस्टिट्यूट ऑफ़ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस’ में स्थापित किया है।

दिल्ली कोरोना ऐप

कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड की सुविधा नहीं मिल पाने और फिर जनता द्वारा निजी अस्पतालों पर कालाबाजारी के आरोप लगाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने पारदर्शिता के बारे में विचार किया और दिल्ली कोरोना ऐप लॉन्च किया। इस ऐप में हर एक अस्पताल के खाली, भरे बेड और वेटिंलेटर्स की जानकारी दी गई। जिसका फायदा सीधेतौर पर दिल्लीवासियों को मिला। ऐप लॉन्च होने के बाद कुछ वक्त तक गलत जानकारी को लेकर सरकार पर सवाल भी खड़ हुए लेकिन बाद में व्यवस्था को दुरुस्त किया गया। 

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2400 रुपए में हो रही टेस्टिंग

यदि कोई व्यक्ति स्वयं ही कोरोना की जांच कराना चाहता है तो उसे ज्यादा फीस अदा करने की जरूरत नहीं है। दिल्ली सरकार ने सभी निजी प्रयोगशालाओं और अस्पतालों में कोरोना जांच की फीस 2400 रुपए तय की है। दरअसल, केंद्रीय कमिटी ने सिफारिश की थी कि सरकार की तरफ से या फिर सरकारी अस्पतालों की तरफ से कोरोना जांच के लिए जो सैंपल निजी प्रयोगशालाओं में भेजी जाए उसके लिए 2400 रुपए देने होंगे। जबकि कोई व्यक्ति स्वयं निजी प्रयोगशाला में कोरोना जांच कराना चाहे तो उसे 4500 रुपए फीस देनी पड़ेगी। हालांकि बाद में केजरीवाल सरकार ने साफ कर दिया कि निजी प्रयोगशालाओं में टेस्ट कराने के लिए आम आदमियों को महज 2400 रुपए ही अदा करने पड़ेंगे।

जनता का हौसला बढ़ा रही सरकार

केजरीवाल सरकार कोरोना संक्रमण के हर एक पहलुओं को लेकर दिल्लावासियों से संपर्क साधने की कोशिश कर रही है। चाहे वो कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन का मुद्दा हो या फिर ढील दिए जाने का... इन सबसे परे केजरीवाल सरकार लगातार अपने स्वास्थ्यवकर्स का भी हौसला बढ़ा रही है और अस्पतालों का दौरा कर उनसे मुलाकात भी कर रही है। इतना ही नहीं केजरीवाल सरकार कोरोना से जंग जीत चुके लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने की भी अपील कर रही है।

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