पैलेट गनों की जगह अन्य विकल्पों पर विचार करेंः सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्र से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में पथराव करने वाली भीड़ से निपटने के लिए पैलेट गनों की बजाय अन्य प्रभावी तरीकों का प्रयोग करे।
उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्र से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में पथराव करने वाली भीड़ से निपटने के लिए पैलेट गनों की बजाय अन्य प्रभावी तरीकों का प्रयोग करे क्योंकि यह जीवन और मृत्यु का मामला है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कश्मीर घाटी में प्रदर्शनों में शामिल नाबालिग बच्चों को लगी चोटों पर चिंता जताई और सरकार से पूछा कि उनके माता-पिता के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी है।
उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि वह इस बारे में विस्तृत जवाब दाखिल करें कि जम्मू-कश्मीर में नाराज भीड़ से निपटने के लिए कौन से अन्य प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं। पीठ ने मामले की सुनवायी के लिए 10 अप्रैल की तिथि तय की है। न्यायालय ने पिछले साल 14 दिसंबर को कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सड़कों पर प्रदर्शन करने वालों को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गनों का ‘‘अविवेकपूर्ण’’ प्रयोग नहीं करना चाहिए और अधिकारियों द्वारा ‘‘समुचित विवेक का प्रयोग’’ किए जाने के बाद ही उसे बहाल करना चाहिए। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य में पैलेट गनों के ‘‘अत्यधिक’’ प्रयोग किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवायी करते हुए केन्द्र और जम्मू-कश्मीर सरकारों को नोटिस जारी कर उनके जवाब मांगे थे।
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