तीन तलाक मुद्दाः मुस्लिम संगठन भड़के, केंद्र पर लगाए आरोप

[email protected] । Oct 13 2016 4:26PM

मुस्लिम संगठनों ने आज समान आचार संहिता पर विधि आयोग की प्रश्नावली का बहिष्कार करने का फैसला किया और सरकार पर उनके समुदाय के खिलाफ ‘युद्ध’ छेड़ने का आरोप लगाया।

ऑल इंडियन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और देश के कुछ दूसरे प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने आज समान आचार संहिता पर विधि आयोग की प्रश्नावली का बहिष्कार करने का फैसला किया और सरकार पर उनके समुदाय के खिलाफ ‘युद्ध’ छेड़ने का आरोप लगाया। यहां प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुस्लिम संगठनों दावा किया कि यदि समान आचार संहिता को लागू कर दिया जाता है तो यह सभी लोगों को ‘एक रंग’ में रंग देने जैसा होगा, जो देश के बहुलतावाद और विविधता के लिए खतरनाक होगा।

पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव वली रहमानी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के प्रमुख मंजूर आलम, जमात-ए-इस्लामी हिंद के पदाधिकारी मोहम्मद जफर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी और कुछ अन्य संगठनों के पदाधिकारियों ने तीन तलाक और समान आचार संहिता के मुद्दे पर सरकार को घेरा। एक साथ तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार के रूख को खारिज करते हुए इन संगठनों ने दावा किया कि उनके समुदाय में अन्य समुदायों की तुलना में, खासतौर पर हिंदू समुदाय की तुलना में तलाक के मामले कहीं कम हैं। रहमानी ने कहा कि बोर्ड और दूसरे मुस्लिम संगठन इन मुद्दों पर मुस्लिम समुदाय को जागरूक करने के लिए पूरे देश में अभियान चलाएंगे और इसकी शुरूआत लखनऊ से होगी। उन्होंने कहा, ‘‘विधि आयोग का कहना है कि समाज के निचले तबके के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है, जबकि यह हकीकत नहीं है। यह कोशिश पूरे देश को एक रंग में रंगने की है जो देश की बहुलतावाद और विविधता के लिए खतरनाक है।’’ रहमानी ने कहा, ‘‘सरकार अपनी नाकामियों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश में है। मुझे यह कहना पड़ रहा है कि वह इस समुदाय के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहती है। हम उसकी कोशिश का पुरजोर विरोध करेंगे।’’ बोर्ड के पदाधिकारियों ने यह माना कि पर्सनल लॉ में कुछ ‘खामियां’ हैं और उनको दूर किया जा रहा है।

जमीयत प्रमुख अरशद मदनी ने कहा, ‘‘देश के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। सीमा पर तनाव है। निर्दोष लोगों की हत्याएं हो रही हैं। सरकार को समान आचार संहिता पर लोगों की राय लेने की बजाय, इन चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए।’’

यह पूछे जाने पर कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने ही एक साथ तीन तलाक के मुद्दे पर पर्सनल लॉ बोर्ड के रूख का विरोध किया है तो रहमानी ने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात रखने का पूरा हक हासिल है।

गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने एक साथ तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर बोर्ड के रूख का विरोध किया और कहा कि ये प्रथा इस्लाम में अनिवार्य नहीं हैं। बोर्ड की महिला सदस्य असमा जेहरा ने कहा, ‘‘पर्सनल लॉ में किसी सुधार की जरूरत नहीं है। एक साथ तीन तलाक कोई बड़ा मुद्दा नहीं है और समान आचार संहिता थोपने की दिशा में सरकार का कदम लोगों की धार्मिक आजादी को छीनना है। यही वजह है कि हम लोग संघर्ष कर रहे हैं।’’ विधि आयोग ने सात अक्तूबर को जनता से राय मांगी कि क्या तीन तलाक की प्रथा को खत्म किया जाए और देश में समान आचार संहिता लागू की जाए।

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