मुंबई में हुए कई विस्फोटों के मामले में तीन लोगों को उम्रकैद

[email protected] । Apr 6 2016 4:25PM

विशेष पोटा अदालत ने महानगर में दिसंबर 2002 से लेकर मार्च 2003 के बीच हुए कई विस्फोटों के मामले में दोषी साबित 10 लोगों में से तीन लोगों को आज उम्रकैद की सजा सुनाई।

मुंबई। विशेष पोटा अदालत ने महानगर में दिसंबर 2002 से लेकर मार्च 2003 के बीच हुए कई विस्फोटों के मामले में दोषी साबित 10 लोगों में से तीन लोगों को आज उम्रकैद की सजा सुनाई। प्रमुख आरोपी साकिब नाचान को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है। इन विस्फोटों में 13 लोग मारे गए थे। विशेष पोटा न्यायाधीश पी.आर. देशमुख ने कहा कि दोषी मुजम्मिल अंसारी (जिसने बम रखे थे) अंतिम सांस तक जेल में रहेगा। उम्रकैद की सजा पाने वाले दो अन्य लोग फरहान खोट और डॉ. वहीद अंसारी हैं। छह अन्य को दो से 10 साल तक कैद की सजा सुनाई गई है। अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माने (नौ लाख रूपये) की 75 प्रतिशत राशि (दोषियों से प्राप्त) जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को जाएगी, जबकि शेष राशि भारतीय रेलवे को जाएगी।

अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को भी निर्देश दिया कि वह पीड़ितों और आश्रितों को दिए जाने वाले मुआवजे की मात्रा तथा तदनुसार इसका भुगतान करने का फैसला करे। मंगलवार को अदालत ने विस्फोटों में दोषी साबित 10 लोगों को सजा की मात्रा का फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। गत 29 मार्च को अदालत ने साकिब नाचान, अतीफ मुल्ला, हासिब मुल्ला, गुलाम कोताल, मोहम्मद कमील, नूर मलिक, अनवर अली खान, फरहान खोट, डॉ. वहीद अंसारी और मुजम्मिल अंसारी को मामले में दोषी ठहराया था। तेरह मार्च 2003 को मुलुंड ट्रेन विस्फोटों में 12 लोग मारे गए थे। छह दिसंबर 2002 को मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर मैक्डोनाल्ड में हुए एक विस्फोट में कई लोग घायल हो गए थे। 27 जनवरी 2003 को विले पार्ले (पूर्वी) में एक बाजार में हुए एक विस्फोट में एक व्यक्ति मारा गया था। सजा पर दलीलों के दौरान विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान ने मुजम्मिल असांरी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। उन्होंने साकिब नाचान, गुलाम खोटाल, फरहान खोट और डॉ. वाहिद अंसारी को उम्रकैद की सजा देने का आग्रह किया था।

मुलुंड, विले पार्ले और मुंबई सेंट्रल विस्फोट मामलों में 15 आरोपियों के खिलाफ दायर संयुक्त आरोपपत्र में पुलिस ने उन पर पोटा, विस्फोटक पदार्थ कानून और भादंसं के तहत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारियों तथा आपराधिक साजिश के आरोप लगाए थे। मुकदमे के दौरान दो आरोपियों की मौत हो गई और उनके खिलाफ मामले समाप्त कर दिए गए। मामले में छह लोग अब भी वांछित हैं। अभियोजन ने मुकदमे के दौरान 153 गवाहों से पूछताछ की, जबकि बचाव पक्ष ने 30 गवाहों से पूछताछ की। मुकदमा 2014 में शुरू हुआ था क्योंकि पूर्व में कुछ आरोपियों ने पोटा को चुनौती दी थी और मामलों को एकसाथ किए जाने को भी चुनौती दी थी।

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