चीन और नेपाल विवाद पर राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, कहा- पारदर्शिता के बिना कुछ बोलना सही नहीं

Rahul Gandhi

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत-चीन का मुद्दा अभी चल रहा है। नेपाल का विषय भी है। उस पर मैं ज्यादा नहीं बोलना चाहता। इसे मैं सरकार के विवेक पर छोड़ता हूं।

नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि चीन के साथ सीमा पर कथित तनातनी और भारत-नेपाल रिश्तों में आई हालिया तल्खी से जुड़े मुद्दों को लेकर पारदर्शिता की जरूरत है और सरकार को देश को इस बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत-चीन का मुद्दा अभी चल रहा है। नेपाल का विषय भी है। उस पर मैं ज्यादा नहीं बोलना चाहता। इसे मैं सरकार के विवेक पर छोड़ता हूं। मगर पारदर्शिता की जरूर आवश्यकता है, क्योंकि पारदर्शिता के बिना मेरा इस पर बोलना सही नहीं होगा।’’ 

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गौरतलब है कि हाल ही में चीनी सैनिकों के भारतीय क्षेत्र में पहुंचने और भारतीय जवानों के साथ उनके टकराव की खबरें आई हैं। दूसरी तरफ, नेपाल की सरकार ने अपने राजनीतिक मानचित्र में भारत के कुछ क्षेत्रों को अपने भूभाग के तौर पर दिखाया जिस पर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। महाराष्ट्र में भाजपा नेता नारायण राणे द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग पर राहुल गांधी ने कहा, ‘‘अगर महाराष्ट्र में भाजपा रचनात्मक सवाल उठाना चाहती है तो उसे उठाना चाहिए। इससे हमारी सरकार सीख सकती है और उनकी मांगों को स्वीकार भी कर सकती है। इसमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन लोकतांत्रिक ढांचे को उखाड़कर राष्ट्रपति शासन लगाने और रचनात्मक सवाल करने में बहुत फर्क है।’’ 

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मजदूरों से राहुल गांधी की मुलाकात को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ‘ड्रामेबाजी’ करार दिए जाने पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अगर मजदूरों का दर्द बांटना वित्त मंत्री जी को ड्रामा लगता है, तो ये उनका विचार है। इसके लिए उनको धन्यवाद। अगर वो चाहती हैं, तो वो अनुमति दें, मैं यहां से पैदल उत्तर प्रदेश निकल जाऊंगा और रास्ते में जितना हो सकेगा, लोगों की मदद करूंगा।’’ दूसरे प्रदेशों में मजदूरों को ले जाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति लेने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले को लेकर राहुल गांधी ने उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उप्र के मुख्यमंत्री भारत को इस तरह से देखते हैं। ये लोग उप्र की निजी संपत्ति नहीं बल्कि भारत के नागरिक हैं। उन्हें यह तय करने का अधिकार है कि वे क्या करना चाहते हैं। उनका सहयोग करना हमारा काम है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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