UGC ने विरोध के बीच वेबसाइट से ‘अनारक्षण’ मसौदा दिशानिर्देश हटाए

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कांग्रेस ने इसे आरक्षण खत्म करने की साजिश करार दिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया कि एक भी पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा और केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद आरक्षण के बारे में अस्पष्टता की कोई गुंजाइश नहीं है।

 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट से उस मसौदा दिशानिर्देश को हटा दिया, जिसमें एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने पर आरक्षित पदों के “अनारक्षण” का सुझाव दिया गया था। इस मुद्दे को लेकर हाल में विवाद हो रहा है।

आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने हालांकि कहा, “दिशानिर्देशों को वेबसाइट से हटा दिया गया है क्योंकि हितधारकों के लिए अपनी प्रतिक्रिया देने की समय अवधि समाप्त हो गई है।”

यूजीसी के मसौदा दिशानिर्देशों पर रविवार को विवाद खड़ा हो गया, जिसमें कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किसी भी रिक्ति को “अनारक्षित” घोषित किया जा सकता है, अगर इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं।

कांग्रेस ने इसे आरक्षण खत्म करने की साजिश करार दिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया कि एक भी पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा और केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद आरक्षण के बारे में अस्पष्टता की कोई गुंजाइश नहीं है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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