Uttarakhand Election 2022: पिथौरागढ़ सीट से दो पुराने धुरंधर होंगे आमने-सामने, राष्ट्रवाद को लेकर जनता का अलग नजरिया
उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आप, एसपी और बीएसपी जैसे दल भी चुनावी मैदान में उतरी है लेकिव असली मुकाबला तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा। क्योंकि , इन दो पार्टी को छोड़ अन्य पार्टियों का इस राज्य में कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी सोमवार को मतदान किए जाएंगे। उत्तराखंड की टोटल 70 विधानसभा सीटों में 632 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि, वोटों की गिनती 10 मार्च को की जाएगी। इसी बीच उत्तराखंड के लोगों का किसकी पार्टी ने सबसे ज्यादा दिल जीता है यह भी कहना काफी मुश्किल है। कई लोग उस सरकार को ही वोट देंगे जिसने लोगों को पूरा राशन और पैसे की सुविधा दी है। उत्तराखंड में पिछले 8 सालों से कई बदलाव देखने को मिले है। एनबीटी की एक ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड की जनता मुद्दों पर वोट नहीं देगी बल्कि चुनाव के दौरान चल रही नकद और खाने-पीने की हवा ही लोगों को सबसे ज्यादा लुभाएगी। जनता के मुताबिक, पीएम मोदी जैसा नेता आजतक नहीं देखा, उन्होंने देश के लोगों के भीतर राष्ट्रवाद का भाव जगा दिया है।
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राष्ट्रवाद का मुद्दा सबसे ज्यादा मुखर
नेपाल और चीन की सीमा से लगे इस सीमाई जिले में राष्ट्रवाद का मुद्दा सबसे ज्यादा मुखर है। इसमें लोगों के नजरिए भी काफी अलग-अलग है। कुछ लोगों का कहना है कि, राष्ट्रवाद हिंदुत्व से जुड़ा है, जिसमें सब लोग शामिल नहीं हैं।हमारा राष्ट्रवाद ऐसा नहीं है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि, पिछले कुछ सालों में भारत-नेपाल के बीच राष्ट्रवाद की भावना काफी बढ़ी है। इसमें दो देशों के रिश्तें भी पीएम मोदी के आने से काफी सही हुए है।
असली मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच
उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आप, एसपी और बीएसपी जैसे दल भी चुनावी मैदान में उतरी है लेकिव असली मुकाबला तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा। क्योंकि , इन दो पार्टी को छोड़ अन्य पार्टियों का इस राज्य में कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा। बता दें कि, पिथौरागढ़ जिले में चार विधानसभा सीटें हैं, जिनमें पिथौरागढ़, डीडीहाट, धारचूला, गंगोलीहाट हैं। यहां की आबादी का पांचवां हिस्सा जनजातियों का है और सबसे ज्यादा यहां भोटिया जनजाति प्रमुख है। सबसे शक्तिशाली भोटिया समुदाय हमेशा से कांग्रेस का वोटर रहा है। यह समुदाय कांग्रेस का काफी समर्थन भी कर रही है। वहीं इस क्षेत्र में गैर भोटिया में भाजपा की लहर दौड़ रही है। इसके अलावा, ब्राह्मण, राजपूत और एससी आबादी भी अपना खासा वर्चस्व रखती है। पिथौरागढ़ सीट से बीजेपी उम्मीदवार चंदा पंत और कांग्रेस के मयूख महर के बीच जबरदस्त मुकाबला है। इस जिले की सबसे बड़ी समस्या पानी,हवाई सेवा, हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज हैं।धारचूला सीट से कांग्रेस के हरीश धामी का मुकाबला बीजेपी के धन सिंह धामी के साथ है।बता दें कि, धारचूला की सीट से अब तक भाजपा कभी नहीं जीती है। इस सीट से हमेशा कांग्रेस और निर्दलीय ही जीते है। इस बार चुनाव में बाहरी बनाम भीतरी का मुद्दा बन रहा है। डीडीहाट जिले में तिकोना मुकाबला देखने को मिल सकता है। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल, कांग्रेस के प्रदीप पाल और निर्दलीय किशन सिंह भंडारी के बीच मुकाबला होगा। जिले की सबसे छोटी सीट से हमेशा भाजपा विजयी की झंडा लहराती रही है। बता दें कि, डीडीहाट को जिला बनाने की मांग एक बड़ा मुद्दा है जो कि लंबे समय से उठ रही है।
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