नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए सांसदों से संपर्क करेगी विश्व हिंदू परिषद

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[email protected] । Nov 19 2019 1:25PM

विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सहायक सचिव सचिन्द्रनाथ सिंह ने बताया कि वीएचपी ने 25 नवंबर से 13 दिसंबर के बीच ‘संसद संपर्क अभियान’ दिल्ली से शुरू करने का निर्णय लिया है।

कोलकाता। विश्व हिंदू परिषद नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर एक अभियान शुरू करने जा रही है जिसका मकसद इस विधेयक के समर्थन में सांसदों खास तौर पर तृणमूल कांग्रेस के सांसदों का समर्थन हासिल करना है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद इस प्रस्तावित विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

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विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सहायक सचिव सचिन्द्रनाथ सिंह ने बताया कि वीएचपी ने 25 नवंबर से 13 दिसंबर के बीच ‘संसद संपर्क अभियान’ दिल्ली से शुरू करने का निर्णय लिया है। दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और इसमें शामिल होने के लिए सांसद अभी दिल्ली में है। उन्होंने कहा कि वीएचपी के पदाधिकारी इस अभियान के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं। सिंह इस अभियान के सह संयोजक भी हैं। उन्होंने बताया कि ‘सांसदों से संपर्क’ कार्यक्रम का उद्देश्य सांसदों से मुलाकात करके उन्हें इस विधेयक के समर्थन के लिए ‘मनाना’ है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के लिए खास तौर पर विपक्षी सांसदों से इस संबंध में संपर्क करना और उन्हें सीएबी की जरूरत के बारे में जागरुक करना और शरणार्थियों के मुद्दों को उजागर करना और सांसदों को संसद में इस विधेयक के समर्थन के लिए समझाना है। 

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सिंह ने कहा कि इस विधेयक के लिए खास तौर पर तृणमूल कांग्रेस के सांसदों पर ‘विशेष ध्यान’ दिया जाएगा क्योंकि वह अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। वीएचपी के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि वीएचपी सांसदों से मिल सकती है लेकिन पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी इस मुद्दे पर अपना विचार नहीं बदलने जा रही है। नागरिकता विधेयक के अलावा इस कार्यक्रम का मकसद उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए जागरुकता फैलाना है। केंद्र सरकार का प्रयास संसद के इस शीतकालीन सत्र में यह विधेयक पारित कराने का है।यह विधेयक सात साल तक भारत में रह चुके पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिन्दू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध तथा पारसियों को भारतीय नागरिकता देने की बात कहता है, भले ही उनके पास कोई दस्तावेज नहीं हो।

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