जल विशेषज्ञों ने भारत पर जानबूझकर पानी छोड़ने के आरोपों को गलत बताया

‘टफ्ट्स’ विश्वविद्यालय के शहरी जल विशेषज्ञ डॉ. हसन एफ. खान ने बताया कि प्रत्येक बांध में दो मुख्य प्रणालियां होती हैं: नियमित पानी छोड़ने वाले गेट और पानी के रिसने वाली जगह ‘स्पिलवे’।
पाकिस्तान में इस वर्ष आई विनाशकारी बाढ़ के लिए भारत को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जल विज्ञान विशेषज्ञों ने बुधवार को यह स्पष्ट किया है। बारिश के कारण सीमा के ऊपरी इलाकों में अधिक तबाही हुई है।
मीडिया खबरों, लोगों की राय और यहां तक कि कुछ अधिकारियों ने दावे किए थे कि पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ भारत द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण आई थी, लेकिन विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि (भारत द्वारा) जानबूझकर ऐसा किया गया था।
पूरे उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अगस्त के मध्य से मूसलाधार बारिश हो रही है, जिसके कारण लगभग सभी नदियां और सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
पंजाब की प्रांतीय सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि अभूतपूर्व मानसूनी बारिश और भारत की ओर से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने से तीन पूर्वी नदियां - सतलुज, रावी और चिनाब का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है।
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने बांध से पानी छोड़ने की प्रक्रिया को समझने के लिए विशेषज्ञों से बात की, तो उन्होंने बाढ़ के लिए कई कारण बताए। ‘टफ्ट्स’ विश्वविद्यालय के शहरी जल विशेषज्ञ डॉ. हसन एफ. खान ने बताया कि प्रत्येक बांध में दो मुख्य प्रणालियां होती हैं: नियमित पानी छोड़ने वाले गेट और पानी के रिसने वाली जगह ‘स्पिलवे’।
पानी छोड़ने के लिए नियमित गेट का उपयोग कृषि जैसी जल आपूर्ति आवश्यकताओं के लिए किया जाता है और इन्हें सामान्य निकास माना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब कोई बांध अपनी अधिकतम क्षमता तक भर जाता है, तो संरचनात्मक क्षति के जोखिम के कारण पानी को रोका नहीं जा सकता।’’
डॉ. हसन के अनुसार, भारत ने हाल के दिनों में कई बांधों से पानी छोड़ा है क्योंकि उनकी क्षमता पूरी हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘भारत यही दावा कर रहा है। हालांकि पाकिस्तान इसकी सीधे पुष्टि नहीं कर सकता, लेकिन संदर्भ को देखते हुए यह बात समझ में आती है। इस तरह का पानी छोड़ना असामान्य नहीं है।
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