Maratha Reservation Protest | 'हम सिर्फ आरक्षण चाहते हैं, सरकार मराठा समुदाय के धैर्य की परीक्षा न ले' मनोज जरांगे की चेतावनी

Manoj Jarange
ANI
रेनू तिवारी । Aug 30 2025 11:18AM

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में शनिवार को दूसरे दिन भी अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रखी और घोषणा की कि जब तक समुदाय की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह पीछे नहीं हटेंगे।

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में शनिवार को दूसरे दिन भी अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी रखी और घोषणा की कि जब तक समुदाय की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह पीछे नहीं हटेंगे। जरांगे और उनके समर्थकों को रात भर हुई बारिश के कारण मैदान पर कीचड़ से जूझना पड़ा और उन्होंने शौचालयों में पानी की कमी सहित पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं न होने की शिकायत की। जरांगे की मांग है कि सभी मराठों को नौकरी और शिक्षा में आरक्षण के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए।

मनोज जरांगे पाटिल के विरोध प्रदर्शन का आज दूसरा दिन

मनोज जरांगे की मराठा आरक्षण के लिए सरकार से उनकी लड़ाई जारी है। हालाँकि, विरोध प्रदर्शन के पहले दिन प्रदर्शनकारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। साथ ही, मनोज जरांगे सहित राज्य भर से हजारों प्रदर्शनकारी कारों में मुंबई में प्रवेश कर गए, जिससे कल से दक्षिण मुंबई में भारी ट्रैफिक जाम हो गया। इस बीच, मनोज जरांगे का विरोध आज़ाद मैदान में चल रहा है। हालाँकि, इसी आज़ाद मैदान में रोशनी उपलब्ध नहीं है। इसी के चलते, मनोज जरांगे ने कल (29 अगस्त) शाम मुंबई नगर निगम पर हमला बोला। आज़ाद मैदान में नगर निगम की कोई रोशनी नहीं है। आपकी क्या भिखारी चालें हैं... आपने 50-60 साल तक सत्ता का आनंद लिया है। आप भिखारी हैं, आपने अपने घर भर लिए हैं।

आज़ाद मैदान में कोई साधारण रोशनी नहीं है। मनोज जरांगे ने कहा लड़कों... तुरंत 10-12 फोकस खरीदें... हम उन्हें इस नगर निगम को मुफ्त में दे देंगे... ये भिखारी हैं...। सरकार को पार्किंग स्थल घोषित करने चाहिए। पुलिस और सरकार को पार्किंग स्थलों का नक्शा लगाना चाहिए। मनोज जरांगे ने चेतावनी दी कि जितनी देर करोगे, मुंबई में मराठाओं की संख्या उतनी ही बढ़ेगी। मनोज जरांगे ने आगे कहा कि सरकार ने वादा किया है कि आज़ाद मैदान के आसपास के मैदान को पार्किंग के लिए खाली कर दिया जाएगा और मराठा शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे।

 राज्य सरकार मराठा समुदाय के मुद्दों को हल करने के प्रति सकारात्मक है

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार मराठा समुदाय के मुद्दों को हल करने के प्रति सकारात्मक है, यदि वे सामाजिक और वित्तीय प्रकृति के हैं और राजनीतिक आरक्षण से संबंधित नहीं हैं। फडणवीस ने कहा है कि मराठा समुदाय से संबंधित मुद्दों पर मंत्रिमंडलीय उप-समिति जरांगे की मांगों पर चर्चा कर रही है और संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान ढूंढेगी। जरांगे (43) ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार शिक्षा एवं नौकरियों में समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर अपने फैसले में देरी करती है तो वह अगले दो दिन में पानी पीना बंद कर देंगे तथा और अधिक मराठा शहर में आएंगे।

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मराठा कार्यकर्ता ने शुक्रवार को कहा, ‘‘अगर आप (आरक्षण की घोषणा पर) फैसला करने में समय लेंगे तो और ज़्यादा मराठा मुंबई आएंगे। अगर सरकार मराठा को ख़त्म करना चाहती है, तो उसने बातचीत क्यों शुरू की?’’ जरांगे ने सरकार पर मराठा और ओबीसी को बांटने की कोशिश का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं कहा कि आप ओबीसी कोटा कम करके हमें दे दें। हम अपना हक मांग रहे हैं...यह हमारी आखिरी लड़ाई है। अगर इसमें देरी हुई तो मैं अगले दो दिन में पानी पीना छोड़ दूंगा।’’ विपक्षी दलों के कई सांसदों और विधायकों ने भी आजाद मैदान में जरांगे से मुलाकात की और अपना समर्थन व्यक्त किया।

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इस बीच, प्रतिष्ठित छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस समर्थकों का केंद्र बन गया है जहां सैकड़ों लोगों ने आंदोलन के दूसरे दिन के लिए खुद को तैयार करने के वास्ते शुक्रवार देर रात वहां शरण ली। विशाल रेलवे स्टेशन, जो मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है, पर कई प्रदर्शनकारियों ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर शौचालय की सुविधा और पानी की आपूर्ति सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया। उनमें से कई ने उन वाहनों में भी शरण ली जिनमें वे यात्रा कर रहे थे। ये वाहन बीएमसी मुख्यालय के पास महापालिका मार्ग पर खड़े थे। इस साल जनवरी में राज्य सरकार की ओर से भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) विधायक सुरेश धस के हस्तक्षेप के बाद जरांगे ने छठे दिन अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी। वर्ष 2023 के बाद से इस तरह का यह उनका सातवां प्रदर्शन है। जरांगे ने तब घोषणा की थी कि किए गए वादे के तहत कदमों को तेजी से लागू नहीं किया गया, तो वह मुंबई में एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व करेंगे।

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