क्या होता है ब्लैक बॉक्स ? विमानों के क्रैश की मिलती है जानकारी ! जानिए इसके रोचक तथ्य

अनुराग गुप्ता । Dec 10 2021 2:28PM
अक्सर आप लोगों ने ब्लैक बॉक्स के बारे में सुना है लेकिन यह होता क्या है। आपको बता दें कि ब्लैक बॉक्स काले रंग का तो बिल्कुल भी नहीं होता है। दरअसल, यह हेलीकॉप्टर/विमान की उड़ान के दौरान सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इसी कारणों से इसे फ्लाइट का डेटा रिकॉर्डर भी कहा जाता है।
नयी दिल्ली। तमिलनाडु के कन्नूर में बुधवार को वायुसेना का एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। इस हेलीकॉप्टर में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्य अधिकारी सवार थे। जिनमें से 13 लोगों की मौत हो गई और एक सैन्य अधिकारी जख्मी है। हालांकि सैन्य अधिकारियों ने दुर्घटनास्थल से एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया है।
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क्या होता है ब्लैक बॉक्स ?
अक्सर आप लोगों ने ब्लैक बॉक्स के बारे में सुना है लेकिन यह होता क्या है। आपको बता दें कि ब्लैक बॉक्स काले रंग का तो बिल्कुल भी नहीं होता है। दरअसल, यह हेलीकॉप्टर/विमान की उड़ान के दौरान सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इसी कारणों से इसे फ्लाइट का डेटा रिकॉर्डर भी कहा जाता है।50 के दशक में विमान हादसों की घटनाओं में वृद्धि हुई थी। ऐसे में यह समझने का कोई तरीका नहीं था कि हादसे की असल वजह क्या है। ताकि उस गलती को दोहराया न जाए। इस तरह के सवालों के बीच साल 1954 में एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉरेन ने लाल रंग के बॉक्स को बनाया। इस बॉक्स के भीतर काले रंग की दीवारगुमा सतह होती हैं। ऐसे में इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाने लगा। लेकिन इसके सीधे का तर्क समझ में नहीं आया कि लाल रंग के डब्बे का नाम ब्लैक बॉक्स क्यों रखा गया।ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम से बना होता है, जो काफी ज्यादा मजबूत और सुरक्षित होता है। तभी तो विमान के क्रैश होने के बावजूद ब्लैक बॉक्स सुरक्षित रहता है। इतना ही नहीं ब्लैक बॉक्स 1 घंटे तक 10,000 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान सह सकता है। इसके भीतर की तकनीक काफी अत्याधुनिक है तभी तो बिना बिजली के भी यह महीनेभर तक काम कर सकता है और डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहता है।इसे भी पढ़ें: अपने अंतिम यात्रा पर CDS रावत, 17 तोपों की सलामी के साथ होगा अंतिम संस्कार, 800 जवान रहेंगे मौजूद
विमान के क्रैश हो जाने के बाद ब्लैक बॉक्स के भीतर से आवाज और तरंगें निकलती रहती हैं। ताकि खोजी दल दूर से ही इसे खोज सकें। इतना ही नहीं यह तरगें समुद्र के भीतर क्रैश होने पर भी निकलती हैं।We're now on WhatsApp. Click to join.
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