Jan Gan Man: Census क्या है, भारत में कब हुई थी इसकी शुरूआत? इस बार नया क्या होगा?
जनगणना किसी क्षेत्र की जनसंख्या का सर्वेक्षण है जिसमें आयु, लिंग और व्यवसाय सहित देश की जनसांख्यिकी का विवरण एकत्र करना शामिल है। भारत में पहली जनगणना 1872 में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी।
भारत में लंबे समय से विलंबित दशकीय जनगणना अगले साल शुरू होगी। सूत्र इस बात को लेकर दावा कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में इसमें देरी होने के बाद केंद्र अगले साल जनगणना कराने की योजना बना रहा है। यह प्रक्रिया हर दस साल में की जाती है, लेकिन पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का अद्यतन अगले साल की शुरुआत में शुरू होने की संभावना है, जिसका डेटा 2026 में जारी किया जाएगा। इसके साथ ही, भविष्य की जनगणना चक्र में बदलाव होने की उम्मीद है - 2025-2035 और फिर 2035-2045 और इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा।
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भारत में जनगणना
जनगणना किसी क्षेत्र की जनसंख्या का सर्वेक्षण है जिसमें आयु, लिंग और व्यवसाय सहित देश की जनसांख्यिकी का विवरण एकत्र करना शामिल है। भारत में पहली जनगणना 1872 में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी। स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना 1951 में हुई थी और तब से यह हर दशक के पहले वर्ष में होती रही है। संविधान में अनिवार्य है कि गणना की जाए, लेकिन 1948 के भारतीय जनगणना अधिनियम में इसकी समय-सीमा या आवधिकता निर्दिष्ट नहीं की गई है।
2011 में हुई पिछली जनगणना के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी और लिंग अनुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 940 महिलाएँ थीं। कथित तौर पर यह पहली बार था कि ट्रांसजेंडर लोगों के डेटा को गणना में शामिल किया गया था। 2011 की जनगणना में पाया गया कि देश की साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत थी। जहाँ पुरुषों में साक्षरता दर 82 प्रतिशत थी, वहीं महिलाओं में यह 65 प्रतिशत थी। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 79.8 प्रतिशत थी, इसके बाद मुस्लिम 14.23 प्रतिशत, ईसाई 2.30 प्रतिशत और सिख 1.72 प्रतिशत थे।
भारत में अगली जनगणना 2025 में होगी?
भारत की जनगणना अगले साल होने की उम्मीद है, लेकिन अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। जनगणना में भारत की जनसंख्या के बारे में डेटा एकत्र किया जाएगा, जिसमें धर्म, वर्ग और जाति जनसांख्यिकी शामिल है। गणना के दौरान उत्तरदाताओं से 31 प्रश्न पूछे जा सकते हैं। 2026 की जनगणना में लोगों से गणना प्रपत्र में अपने संप्रदायों को चिन्हित करने के लिए कहा जा सकता है। मामले से अवगत व्यक्ति ने बताया, "उदाहरण के लिए, रविदासी, राममणि, अहमदी, आनंद मार्गी और बैरागी हैं। इन संप्रदायों को चिन्हित करने का प्रावधान है।"
मौजूदा फॉर्म में उत्तरदाताओं से अपना नाम, परिवार का विवरण, घर का मुखिया अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से है या नहीं, घर में रहने के लिए कमरों की संख्या आदि भरने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें केवल एक अतिरिक्त बात यह है कि लोगों को धर्म के तहत अपने संप्रदाय का उल्लेख करना होगा। यह जनगणना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे परिसीमन प्रक्रिया और संसद में महिला आरक्षण को लागू करने में मदद मिल सकती है।
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आपको बता दें कि परिसीमन निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएँ खींचने और प्रत्येक राज्य में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए सीटों की संख्या तय करने का कार्य है। चुनाव आयोग के अनुसार, यह प्रक्रिया नवीनतम जनगणना में जनसंख्या पर आधारित है। परिसीमन की प्रक्रिया 2031 की जनगणना के बाद की जानी चाहिए थी, क्योंकि यह 2026 के बाद पहली जनगणना होती। हालांकि, 2021 में जनगणना में देरी होने और अगली जनगणना 2025 में होने की संभावना के कारण, परिसीमन के बारे में बातचीत फिर से सामने आई है। अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि जाति जनगणना आम जनगणना के साथ ही की जाएगी या नहीं। कांग्रेस और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) समेत कई दलों ने जाति आधारित गणना की वकालत की है।
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