Prajatantra: chhattisgarh में कौन देगा किसको पटखनी? BJP-Congress में सियासी तनातनी

bhupesh baghel and raman singh
ANI
अंकित सिंह । Oct 19 2023 6:17PM

कांग्रेस 2018 के वादों को पूरा करती हुई बता रही है। तो वहीं भाजपा राज्य की भूपेश बघेल सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है। भाजपा रमन सिंह के 15 वर्षों के कामकाज को भी बता रही है।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव दो चरण में है। कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला है और दोनों दलों की ओर से लोगों को साधने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। दिलचस्प बात यह भी है कि दोनों दल की ओर से अब तक घोषणा पत्र जारी नहीं किया गया है। कांग्रेस बीजेपी के घोषणा पत्र के इंतजार में है तो वहीं भाजपा कांग्रेस के इंतजार में। कांग्रेस 2018 के वादों को पूरा करती हुई बता रही है। तो वहीं भाजपा राज्य की भूपेश बघेल सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है। भाजपा रमन सिंह के 15 वर्षों के कामकाज को भी बता रही है।

भाजपा के लिए अहम मुद्दा

वर्तमान में देखे तो तमाम ओपिनियन पोल में छत्तीसगढ़ में भाजपा थोड़ी कमजोर नजर आ रही है। हालांकि, चुनावी ताकत अपनी पूरी दिख रही है। भाजपा को नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे काम पर भरोसा है। इसके अलावा भाजपा राज्य की भूपेश बघेल सरकार पर भ्रष्टाचार के जबरदस्त आरोप भी लग रही है। भाजपा की ओर से केंद्र की पीएम आवास, उज्ज्वला योजना, किसान मानधन जैसे योजनाओं को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। भाजपा 2021 में कवर्धा में सांप्रदायिक हिंसा के साथ-साथ बस्तर में कथित धर्मांतरण के मुद्दे उठा रही है। पार्टी नेताओं ने नारायणपुर और कोंडागांव में बढ़त का दावा किया है, जहां आदिवासी ईसाइयों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। भाजपा बघेल सरकार पर माओवादी मुद्दे के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास पर "धीमी गति से चलने" का आरोप लगा रही है। सुरक्षाकर्मियों की मौत को भी भाजपा ने मुद्दा बनाया है।

कांग्रेस का दाव

कांग्रेस ने जिन वादों को पूरा किया गया उसको बता रही है। साथ ही हिंदुत्व के एजेंडे को भी साधने की कोशिश में है। भूपेश बघेल किसाने और ग्रामीण क्षेत्रों को पूरी तरीके से आकर्षित करने में जुटे हुए हैं और सरकार के कामकाज को बता रहे हैं। कांग्रेस अपनी किसान योजनाओं, बेरोजगारी भत्ते और पुरानी पेंशन योजना के पुनरुद्धार और एमएसपी पर 20 क्विंटल चावल खरीदने जैसे वादों पर भरोसा कर रही है। बघेल को उम्मीद है कि उनका क्षेत्रीय और नरम-हिंदुत्व कार्ड भाजपा के राष्ट्रवाद के दांव पर भारी पड़ेगा। कांग्रेस नेता आदिवासियों के साथ-साथ ग्रामीणों के लिए अन्य लाभों की बात करते हैं, जैसे हाट बाजार बस क्लीनिक, धान की अधिक कीमत, पेसा अधिनियम का कार्यान्वयन, "फर्जी" माओवादी मामलों में गिरफ्तार आदिवासियों की रिहाई, और सरकार द्वारा संचालित अंग्रेजी स्कूल। कांग्रेस के लिए चिंता की बात यह भी है कि चुनावों से पहले छोटे दलों का प्रसार हो रहा है, जिससे भाजपा विरोधी वोट बंट सकते हैं।

चुनावी स्थिति

7 नवंबर को पहले चरण में जिन 20 सीटों पर मतदान होगा, उनमें से आठ दुर्ग संभाग में और 12 सीटें बस्तर में आती हैं। पूर्व सीएम रमन सिंह की राजनांदगांव सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। 2013 में भी कांग्रेस ने इन 20 सीटों पर बीजेपी से बेहतर प्रदर्शन किया था और बीजेपी की 8 सीटों के मुकाबले 12 सीटें जीती थीं। दूसरे चरण में सरगुजा, बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर संभाग में चुनाव होने हैं। 17 नवंबर को 70 सीटों पर वोटिंग होगी। 2018 में, कांग्रेस ने इन 70 सीटों में से 52 सीटें जीतीं, जिससे भाजपा 15 पर सिमट गई। यह 2013 से एक बदलाव था, जब भाजपा ने 41 सीटें और कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं।

इसे भी पढ़ें: Chhattisgarh Election : केंद्रीय गृहमंत्री शाह आज छत्तीसगढ़ में, नामांकन रैली को करेंगे संबोधित


चुनावी बिगुल बजने के बाद राजनेताओं के पास वादों का बौछार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। जनता भी नेताओं और राजनीतिक दलों के कामों को देखते हुए ही अपना फैसला लेती है। यही तो प्रजातंत्र है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़