Sasaram Assembly Seat: सासाराम सीट पर किसका बजेगा डंका, BJP या RJD कौन मारेगा बाजी

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सासाराम विधानसभा सीट से राजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र साह, बसपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक डॉ. अशोक सिंह और जन सुराज प्रत्याशी विनय सिंह चुनावी मैदान में हैं। वहीं बाहरी उम्मीदवार के रूप में एनडीए गठबंधन से आरएलएम प्रत्याशी स्नेहा लता कुशवाहा चुनाव लड़ रही हैं।

बिहार की राजनीति में रोहतास जिले की सासाराम विधानसभा सीट काफी महत्वपूर्ण रही है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह सीट न सिर्फ राजनीतिक रूप से अहम रही है, बल्कि सासाराम विधानसभा सीट सामाजिक और जातीय समीकरणों का भी केंद्र रही है। बीते कई वर्षों में सासाराम विधानसभा सीट कई बार सियासी उलटफेरों की गवाह बनी है। यहां पर दलों की रणनीति, जातीय समीकरण और उम्मीदवारों की छवि मिलकर परिणाम तय करते हैं। इस सीट पर इस बार की दिलचस्प मुकाबला होने वाला है।

सासाराम सीट से प्रत्याशी

सासाराम विधानसभा सीट से राजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र साह, बसपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक डॉ. अशोक सिंह और जन सुराज प्रत्याशी विनय सिंह चुनावी मैदान में हैं। वहीं बाहरी उम्मीदवार के रूप में एनडीए गठबंधन से आरएलएम प्रत्याशी स्नेहा लता कुशवाहा चुनाव लड़ रही हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी से अरमान अहमद खान और एनसीपी से आशुतोष सिंह सहित कई स्थानीय प्रत्याशी मैदान में हैं।

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मौजूदा समीकरण

इस विधानसभा सीट पर कुशवाहा जाति का दबदबा है। साल 1990 से लेकर 2015 तक यहां पर कुशवाहा जाति के अलावा अन्य किसी उम्मीदवार ने जीत नहीं हासिल की थी। इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के वोटरों की हिस्सेदारी 17.55 फीसदी है। वहीं 15.20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। पासवान समाज की हिस्सेदारी 3.1 फीसदी है। वहीं 2 फीसदी यादव वोटर हैं। इस विधानसभा सीट पर कुल वोटरों की संख्या 3,39,218 है।

सासाराम सीट का इतिहास

साल 1962 और 1967 में इस सीट से कांग्रेस को जीत मिली थी। इसके बाद प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने दो बार जीत हासिल की। इस सीट से सबसे ज्यादा 5 बार भाजपा ने जीत का परचम लहराया है। वहीं साल 2000 में पहली बार आरजेडी को सफलता मिली थी। फिर साल 2015 और 2020 के चुनाव में भी आरजेडी प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। वहीं जनता दल भी इस सीट से दो बार विधायक बनाने में सफल रही थी। हालांकि इस सीट से अभी तक जेडीयू ने जीत नहीं हासिल की।

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